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उत्तराखंड में खनन पर नैनीताल हाईकोर्ट ने लगाई रोक, हाई पावर्ड कमेटी चार महीने में सौंपेगी रिपोर्ट

राज्य में खनन जारी रहने या पूरी तरह प्रतिबंधि करने को लेकर एक हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया है।

Updated on: 29 Mar 2017, 09:18 AM

highlights

  • कोर्ट ने कहा खनन में बरती जा रही अनियमितताएं बर्दाश्त से बाहर है।
  • खनन के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों की लूट नहीं की जा सकती।
  • अगले चार महीने में हाईकोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश होगी।

 

नई दिल्ली:

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में हो रहे माइनिंग पर चार महीने के लिए रोक लगा दी है। दरअसल बागेश्वर निवासी नवीन पन्त ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में तर्क दिया गया था कि खनन की वजह से गांव को ख़तरा हो गया है, इसलिए खनन पर रोक लगनी चाहिए।

हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस सुधांशु धुलिया की खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया है। इस फ़ैसले के तहत राज्य में खनन जारी रहने या पूरी तरह प्रतिबंधि करने को लेकर एक हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया है। जो अगले चार महीने में हाईकोर्ट के सामने अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

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हाईकोर्ट की डबल बेंच ने अपना फैसले में कहा कि चार महीने तक राज्य में किसी भी तरह का खनन नहीं होगा। कोर्ट ने कहा खनन में बरती जा रही अनियमितताएं बर्दाश्त से बाहर है। खनन के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों की लूट नहीं की जा सकती।

हाईकोर्ट के इस फैसले की वजह से खनन कारोबार से जुड़े लोगों को बड़ा झटका लगा है। 

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