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सत्ता में आने के बावजूद दुविधा में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज!

सत्ता में आने के बावजूद दुविधा में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज!

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IANS
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Havelian Pakitan

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेताओं की लंदन में उच्च स्तरीय बैठक हुई और इस दौरान पाकिस्तान में नए सिरे से चुनाव कराए जाने को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। जानकार सूत्रों ने संकेत दिया है कि बैठक में कई मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ है।

पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन नेता नवाज शरीफ ब्रिटिश राजधानी में निर्वासित हैं और उनके साथ सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान, पाकिस्तान में आर्थिक संकट से लेकर समय से पहले चुनाव कराना चाहिए या नहीं, जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। इसके साथ ही हाल ही में सत्ता से बाहर किए गए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा पेश की जा रही चुनौती से कैसे निपटना है, यह मुद्दा भी एजेंडे में शामिल रहा।

हालांकि, (राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखने वाले) पर्यवेक्षकों ने दावा किया कि पार्टी में वरिष्ठ हस्तियों के बीच कई मुद्दों को लेकर तनाव भी बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि नवाज शरीफ को निर्विवाद नेता के रूप में स्वीकार किया जाता है, लेकिन उनके भाई शहबाज शरीफ को नहीं, जो अब प्रधानमंत्री हैं।

वैसे तो शहबाज को पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में अपेक्षाकृत सफल माना जाता है, मगर बिना पूर्व परामर्श के निर्णय लेने की उनकी कथित शैली संघीय (केंद्र) स्तर पर आदर्श नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर, पीएमएल-एन के पास पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी, अहसान इकबाल और ख्वाजा आसिफ जैसे अन्य शक्तिशाली नेता भी हैं।

पार्टी नेतृत्व जल्दी चुनाव को लेकर बंटा हुआ है। एक वर्ग को लगता है कि आर्थिक स्थिति में गिरावट के लिए इसे दोषी ठहराया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा किसी भी खैरात से जुड़ी कठिन शर्तें भी नेताओं के लिए चुनौती बनी हुई है। यह समूह सोचता है कि इमरान खान पर एक स्नैप चुनाव में कुप्रबंधन का आरोप लगाने से पीएमएल-एन गठबंधन जीत जाएगा, जो अब बहुमत में भी है।

ऐसा माना जा रहा है कि नवाज शरीफ का भी यही विचार है और ऐसा लगता है कि अंतिम निर्णय उन पर छोड़ दिया गया है।

वार्ता में भाग लेने वालों में पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री इशाक डार भी शामिल थे, जिन्होंने आर्थिक विकल्पों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। आईएमएफ पैकेज पर स्पष्टता की कमी और सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा दी जाने वाली किसी भी सहायता के बीच पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है।

हालांकि, एक प्रमुख गठबंधन सहयोगी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ जरदारी देश में राष्ट्रीय जवाबदेही कानूनों में सुधार से पहले चुनावों का विरोध कर रहे हैं।

उन्होंने पाकिस्तान में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, चाहे इसमें तीन या चार महीने लगें, मगर हमें नीतियों के क्रियान्वयन और चुनावी प्रक्रिया में सुधार पर काम करना है।

उन्होंने कहा, मैंने इस पर नवाज शरीफ से भी बात की है और हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि जैसे ही सुधार और लक्ष्य पूरे हो जाएंगे, हम चुनाव के लिए जा सकते हैं।

ऑक्सफोर्ड से शिक्षित 33 वर्षीय जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी को पाकिस्तान के विदेश मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन के निजी निमंत्रण पर न्यूयॉर्क में वैश्विक खाद्य सुरक्षा बैठक में भाग लेने के लिए उनका अगले सप्ताह अमेरिका जाने का कार्यक्रम है।

इस्लामाबाद को अमेरिकी आर्थिक सहायता की बहाली - जो अफगानिस्तान पर पारस्परिक सहयोग और उग्रवाद की रोकथाम पर निर्भर करेगी - पाकिस्तान की बहाली के लिए महत्वपूर्ण है।

पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने कहा, विदेश मंत्री (अमेरिकी प्रभारी डीअफेयर्स के साथ एक बैठक के दौरान) ने अमेरिकी कंपनियों को पाकिस्तान में आने और निवेश करने के लिए आमंत्रित किया है।

बयान में कहा गया है, अमेरिका के साथ, पारस्परिक रूप से लाभप्रद द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने और बढ़ाने की साझा इच्छा है, जैसा कि हाल ही में और चल रहे संपर्कों से प्रकट होता है।

इमरान खान की निरंतर लोकप्रियता न केवल मौजूदा सत्तारूढ़ दलों के लिए एक सिरदर्द बनी हुई है, बल्कि पाकिस्तान सेना के शीर्ष अधिकारियों के लिए भी यह एक चुनौती से कम नहीं है। कहा जाता है कि वह सेना ही थी, जिसके दम पर इमरान सत्ता की कुर्सी पर काबिज हुए थे और अब वही सेना उन्हें हटाए जाने के दौरान तटस्थ बनी रही, जिसका मतलब यह हो सकता है कि वह वास्तव में उनके कद को कम करना चाहती है।

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट कप्तान खान को ब्रिटेन में विदेशी पाकिस्तानियों के बीच एक महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त है। वहीं पाकिस्तान की बात करें तो कराची संभवत: उनका समर्थन करने वालों में सूची में सबसे ऊपर है।

सेना के जनरलों के लिए चिंता की बात यह है कि उनके नीचे के मध्य और निचले रैंक में बहुमत इमरान खान के पीछे है, क्योंकि वायु सेना और नौसेना और सेवानिवृत्त कर्मियों के बीच खान के प्रति सहानुभूति है। इसे मोड़ना सर्वशक्तिमान सेना के लिए भी एक कठिन कार्य है।

इमरान खान के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई (भले ही न्यायपालिका द्वारा इसका आदेश दिया गया हो) को पाकिस्तानी जनता द्वारा प्रतिशोध के रूप में देखा जा सकता है और यह दांव उलटा भी पड़ सकता है।

ऐसी अनेक परिस्थितियों के बीच पीएमएल-एन असमंजस में है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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