हरियाणा ज़मीन विवाद: प्रियंका गांधी का जवाब पति रॉबर्ट वॉड्रा के पैसों से नहीं अपनी संपत्ति से ख़रीदी ज़मीन
हरियाणा में अवैध धन से ज़मीन खरीदने के मुद्दे के तूल पकड़ने के बाद प्रियंका वॉड्रा गांधी ने इन ख़बरों का खंडन किया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि हरियाणा में साल 2006 में खरीदी गई 5 एकड़ ज़मीन उन्होंने अपनी दादी द्वारा मिली विरासत के बदले खरीदी है न कि अपने पति रॉबर्ट वाड्रा के पैसों से।
नई दिल्ली:
हरियाणा में अवैध धन से ज़मीन खरीदने के मुद्दे के तूल पकड़ने के बाद प्रियंका वॉड्रा गांधी ने इन ख़बरों का खंडन किया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि हरियाणा में साल 2006 में खरीदी गई 5 एकड़ ज़मीन उन्होंने अपनी दादी द्वारा मिली विरासत के बदले खरीदी है न कि अपने पति रॉबर्ट वाड्रा के पैसों से।
उन्होंने इन ख़बरों का खंडन करते हुए ऐसे आरोप को राजनीति से प्रेरित बताया है। बता दें कि प्रियंका गांधी पर अवैध धन द्वारा हरियाणा में जमीन खरीदने का आरोप लगा था। जिसके बाद गुरुवार को उन्होंने एक बयान जारी कर इन ख़बरों को निराधार बताया है और ऐसे आरोपों के पीछे राजनीति का हवाला दिया है।
उन्होंने बताया कि हरियाणा में खरीदी गई जमीन के लिए पैसा उन्होंने खुद दिया है और इसके भुगतान में उनके पति या फिर किसी कंपनी स्काईलाइट और डीएलएफ का कोई संबंध नहीं है।
क्या था विवाद?
आपको यहां यह बता दें कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने साल 2006 में हरियाणा के गांव अमिपुर में 5 एकड़ कृषि भूमि खरीदी थी।
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इस खरीद के लिए उन्होंने 15 लाख रुपये चुकाए थे। अब इस मामले के तूल पकड़ने के बाद प्रियंका गांधी के ऑफिस द्वारा बयान जारी कर कहा गया है, ' स्काईलाइट हॉस्पिटिलिटी के कथित जमीन सौदे से छह साल पहले साल 28 अप्रैल, 2006 को प्रियंका गांधी वाड्रा ने 5 एकड़ जमीन हरियाणा के फरीदाबाद जिले के अमिपुर गांव में खरीदी थी। इसके लिए 15 लाख रुपये का भुगतान चेक से किया गया था। श्रीमती गांधी ने इसके लिए जरूरी 4 फीसदी का स्टैम्प ड्यूटी चुकाया था, जो कि जमीन की कीमत के लिहाज से 60,000 रुपये था। बाद में 17 फरवरी, 2010 को प्रियंका गांधी ने इस जमीन को इसके मूल मालिक को 80 लाख रुपये में बेच दिया और इसके लिए भुगतान भी चेक से लिया गया। यह तत्कालीन बाजार मूल्य के हिसाब से था।'
ढींगरा कमीशन
जमीन सौदों की जांच करने के लिए साल 2015 मई में हरियाण की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने ढींगरा कमीशन का गठन किया था। इसके अलावा इस आयोग को गुड़गांव के चार गांवों में लैंड यूज बदलने के लिए लाइसेंस दिए जाने की जांच का भी काम सौंपा गया था।
इन लैंड डील्म में सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड को मिले लाइसेंस की भी जांच शामिल थी। ढींगरा आयोग ने इस मामले पर अपनी रिपोर्ट 31 अगस्त को सौंप दी थी। जिसे प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को एक सील बंद लिफाफे में पिछले हफ्ते ही भेजी थी।
इस मामले में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ढींगरा कमीशन रिपोर्ट लीक होने की ख़बरों का खंडन करते हुए कहा है कि 'कोई लीक नहीं हुई है, अगर ऐसी कोई जानकारी मिलेगी तो मामले की जांच की जाएगी।'
There is no leak, if at all such a thing comes up it will be matter of probe: ML Khattar,Haryana CM on Justice Dhingra commission report pic.twitter.com/76tkAphyUt
— ANI (@ANI_news) April 28, 2017
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जस्टिस ए के गोयल और जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने लैंड डील्स से जुड़ी एक लंबित याचिका के सिलसिले में रिपोर्ट मांगी थी।
ज़मीन विवाद
हरियाणा में गुड़गांव और उसके आसपास (गुड़गांव सेक्टर 83, शिकोहपुर, सिंकदरपुर, खेड़की दौला और सिही) में वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 7.5 करोड़ रुपये में ज़मीन खरीदी थी।
इसके बाद कंपनी ने लैंड यूज़ बदलने के बाद करीब 50 करोड़ रुपये में ज़मीन बेच दी। इस पूरे मामले पर तत्कालीन हुड्डा सरकार पर नियमों को ताक पर रखकर कारोबारी को फायदा पहुंचाने के आरोप लगे थे। वहीं राबर्ट वाड्रा पर गैरकानूनी तरीके से 50 करोड़ रुपये कमाने के संगीन आरोप लगे थे।
इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और खट्टर सरकार ने ढींगरा कमीशन का गठन किया।
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