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राहुल के बचाव में उतरे अमरिंदर सिंह पर हरसिमरत का वार, कहा- सिख होने के नाते चुल्लू भर पानी में डूब मरें

अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा राहुल गांधी के बचाव को शर्मनाक करार दिया है।

Updated on: 27 Aug 2018, 06:15 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा 1984 सिख दंगे को लेकर दिए गए बयान को लेकर पंजाब में सियासी पारा चढ़ गया है। अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा राहुल गांधी के बचाव को शर्मनाक करार दिया है। हरसिमरत कौर ने कहा, 'अमरिंदर सिंह को शर्म आनी चाहिए, एक सिख होने के नाते उन्हें चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए।'

हरसिमरत कौर पर पलटवार करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा, 'यह घटना तब की है जब इंदिरा जी की मौत हुई थी उस वक्त राजीव गांधी बंगाल के एयरपोर्ट पर थे। सिख दंगे में कुछ लोगों को छोड़ दें तो कांग्रेस का कोई हाथ नहीं है। मैनें उन लोगों का नाम भी सार्वजनिक किया है- सज्जन कुमार, धर्मदास शास्त्री, अर्जुन दास और दो अन्य लोग।'

बता दें कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का बचाव करते हुए कहा था, 'सिख दंगे जैसी घटना के लिए राहुल को ज़िम्मेदार बताना जबकि वो उस वक़्त के हालात से पूरी तरह वाक़िफ भी नहीं है पूरी तरह से बेतुका है। कांग्रेस एक पार्टी के तौर पर कभी भी इसमें शामिल नहीं था।' उन्होंने कहा कि 1984 के दंगों के मुद्दे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर बादल का प्रहार अनुचित और फिजूल है।

अमरिंदर ने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख को उनके इस बयान को लेकर फटकारा कि 1984 के दंगों के अपराध में राहुल 'भागीदार' थे। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ब्लूस्टार के समय राहुल स्कूल में पढ़ते थे। उन्होंने कहा कि जिस वाकये के वक्त राहुल गांधी इन सब चीजों से अनजान थे, उसके लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराना बिल्कुल मूर्खतापूर्ण है। अमरिंदर ने कहा कि उन दंगों में जो कोई व्यक्तिगत तौर पर शामिल था, वह कानून से बंधा हुआ है।

उन्होंने कहा, "कुछ लोगों की करतूतों के लिए समूची पार्टी को जिम्मेदार ठहराना मूर्खतापूर्ण है और यह सुखबीर बादल की राजनीतिक अपरिपक्वता दर्शाता है।"

गौरतलब है कि लंदन में मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने 1984 के सिख दंगो में कांग्रेस का हाथ होने से इनकार किया था। हालांकि इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने 1984 के सिख विरोधी दंगों को 'बेहद दुखद त्रासदी' बताया और कहा कि वह किसी के भी खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा में शामिल लोगों को सजा देने का '100 फीसदी' समर्थन करते हैं।

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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षक द्वारा हत्या के बाद 1984 में हुए दंगों में करीब 3,000 सिख मारे गए थे। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी।

ब्रिटेन की दो दिवसीय यात्रा पर आए गांधी ने ब्रिटेन के सांसदों और स्थानीय नेताओं की सभा में शुक्रवार को कहा कि यह घटना त्रासदी थी और बहुत दुखद अनुभव था लेकिन उन्होंने इससे असहमति जताई कि इसमें कांग्रेस 'शामिल' थी।

उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि किसी के भी खिलाफ कोई भी हिंसा गलत है। भारत में कानूनी प्रक्रिया चल रही है लेकिन जहां तक मैं मानता हूं उस समय कुछ भी गलत किया गया तो उसे सजा मिलनी चाहिए और मैं इसका 100 फीसदी समर्थन करता हूं।'

उन्होंने कहा, 'मेरे मन में उसके बारे में कोई भ्रम नहीं है। यह एक त्रासदी थी, यह एक दुखद अनुभव था। आप कहते हैं कि उसमें कांग्रेस पार्टी शामिल थी, मैं इससे सहमति नहीं रखता। निश्चित तौर पर हिंसा हुई थी, निश्चित तौर पर वह त्रासदी थी।'

बाद में प्रतिष्ठित लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में एक सत्र के दौरान जब उनसे सिख विरोधी दंगों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘जब मनमोहन सिंह ने कहा तो वह हम सभी के लिए बोले। जैसा मैंने पहले कहा था कि मैं हिंसा का पीड़ित हूं और मैं समझता हूं कि यह कैसा लगता है।'

वह वर्ष 1991 में लिट्टे द्वारा उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या का जिक्र कर रहे थे।

गांधी ने कहा, 'मैं इस धरती पर किसी के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा के विरुद्ध हूं। मैं परेशान हो जाता हूं जब मैं किसी को आहत होते देखता हूं। इसलिए मैं इसकी 100 प्रतिशत निंदा करता हूं और मैं किसी के भी खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा में शामिल लोगों को सजा देने के 100 फीसदी समर्थन में हूं।'

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने हिंसा नहीं झेली है, उन्हें लगता है कि हिंसा वही है जो फिल्मों में देखते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, 'ऐसा नहीं है, मैंने उन लोगों को मरते देखा है जिन्हें मैं बहुत प्यार करता था। मैंने उस व्यक्ति (प्रभाकरन) को भी मरते देखा जिसने मेरे पिता को मारा था।'

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उन्होंने कहा, 'जब मैंने जाफना (श्रीलंका) के तट पर प्रभाकरन को मृत देखा तो मुझे उसके लिए दुख हुआ क्योंकि मैंने उसकी जगह अपने पिता को देखा और मेरी जगह उसके बच्चों को देखा। इसलिए जब आप हिंसा से पीड़ित होते हो तो आप इसे समझते हो, यह पूरी तरह से आप पर असर डालती है।'