वैक्सीन को लेकर हरदीप सिंह पुरी का विपक्ष पर वार, कहा- 35,000 करोड़ आवंटित किया है
दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस को जमकर लताड़ा. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को लेकर गलत कहानी गढ़ी जा रही है. कोरोना महामारी से बहुत पहले इस पर फैसला लिया गया था.
highlights
- दिल्ली हाईकोर्ट से मोदी सरकार को राहत
- HC ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर नहीं लगाई रोक
- केंद्रीय मंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस करके कांग्रेस को लताड़ा
नई दिल्ली:
देश में वैक्सीन की किल्लत (Vaccine Shortage) को लेकर अब राजनीति चरम पर है. वैक्सीन की कमी को लेकर विपक्ष मोदी सरकार (Modi Government) पर हमलावर रुख अपनाए हुए है. विपक्ष में खास तौर पर कांग्रेस (Congress) हर रोज मोदी सरकार पर नए-नए आरोप लगा रही है, तो वहीं सरकार भी विपक्ष के हर हमले का मुंहतोड़ जवाब दे रही है. कांग्रेस पिछले कुछ दिनों मोदी सरकार के सबसे बड़े प्रोजेक्ट 'सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट' (Central Vista Project) को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रही है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार जनता के पैसे को बर्बाद रही है. इस प्रोजेक्ट को रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में एक याचिका भी दाखिल की गई थी. जिसे कोर्ट ने आज खारिज कर दिया है.
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दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज होना मोदी सरकार की बड़ी जीत मानी जा रही है. कोर्ट का फैसला आने के बाद केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस को जमकर लताड़ा. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को लेकर गलत कहानी गढ़ी जा रही है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से भ्रम फैलाया जा रहा है कि कोरोना महामारी के दौरान सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर 20,000 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं ये वैक्सीनेशन कार्यक्रम में लगाईए.
उन्होंने कहा कि केंद्र ने वैक्सीनेशन के लिए 35,000 करोड़ आवंटित किया है. वैक्सीनेशन के लिए पैसे की कमी नहीं है, केंद्र की ओर से पर्याप्त पैसा दिया गया है. उन्होंने कहा कि वैक्सीन की उपलब्धता दूसरी बात है. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर महामारी के बहुत पहले फैसला ले लिया गया था. संसद का नया भवन बनाना इसलिए जरूरी है क्योंकि पुराना भवन सेस्मिक जोन 2 में आता था, अगर तेज भूंकप आए तो अब ये भवन सेस्मिक जोन 4 में है.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कहा कि साल 2012 में जब मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष थीं तो उनके एक ओडीएसडी थे जिन्होंने आवास मंत्रालय के सचिव को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि एक फैसला ले लिया गया है कि एक नई संसद भवन बननी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि आजादी के समय हमारी जनसंख्या 350 मिलियन के करीब थी. संसद भवन में हमें जगह की जरुरत होती है ताकि संसद सदस्य बैठ सकें. राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब से यह मांग की जा रही है. कुल खर्चा 1300 करोड़ रुपये के आसपास है.
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