Happy Birthday Dhirubhai: पकौड़े तलने से लेकर पद्म विभूषण तक जानें धीरूभाई अंबानी का पूरा सफर
धीरूभाई अंबानी 300 रुपये महीने की सैलरी से अपने करियर की शुरूआत की थी, लेकिन अपनी मेहनत और नजरिए के बल पर वह कुछ ही सालों में करोड़ों की कंपनी के मालिक बन गए
नई दिल्ली:
रिलायंस इंडस्ट्री ग्रुप की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के सिलवासा में हुआ था. आज उनका 87वीं जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है. धीरूभाई अंबानी का जीवन बहुत ही संघर्ष से भरा था. उन्होंने काफी मेहनत करके बुलंदी हासिल की थी. देश में जब भी किसी का नाम आता है जो अपने दम पर बुलंदी हासिल की है, तो इसमें धीरूभाई का नाम जरूर आता है.
कुछ ही सालों में करोड़ों की कंपनी के मालिक बन गए
धीरूभाई अंबानी 300 रुपये महीने की सैलरी से अपने करियर की शुरूआत की थी, लेकिन अपनी मेहनत और नजरिए के बल पर वह कुछ ही सालों में करोड़ों की कंपनी के मालिक बन गए. देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री उन्होंने ही खड़ी की है. कंपनी की मार्केट वैल्यू करीब 9 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है.
घर के पास एक मंदिर पर पकौड़े बेचते थे धीरूभाई
धीरूभाई अंबानी ने सिर्फ हाईस्कूल तक ही पढ़ाई की थी. बहुत ही कम उम्र में ही वह बिजनेस के क्षेत्र में आ गए थे. शुरूआत में धीरूभाई ने फल और नाश्ता बेचने का काम किया था. जिसमें उन्हें खास सफलता नहीं मिली. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. इसके कुछ समय बाद ही उन्होंने घर के पास एक मंदिर के पास पकौड़े बेचने का व्यापार शुरू किया. उनका यह व्यापार पूरी तरह से पर्यटकों पर निर्भर था, इसलिए ज्यादा मुनाफा ना होते देख उन्होंने इस काम को भी बंद कर दिया.
पेट्रोल पंप पर 300 रुपये महीने की नौकरी की
धीरूभाई सिर्फ 17 साल की उम्र में पैसे कमाने के लिए 1949 में अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए थे. वहां धीरूभाई ने एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपये महीने प्रतिमाह से नौकरी की शुरूआत की थी. कुछ साल उन्होंने नौकरी की. इसके बाद वे 1954 में भारत लौट आए. इसके बाद वे 500 रुपये लेकर मुंबई आ गए. इसके बाद अंबानी ने अपने चचेरे भाई के साथ मिलकर पॉलिस्टर धागे का व्यापार शुरू किया.
धीरूभाई ने मुंबई के यार्न उद्योग पर अपना कब्जा कर लिया
बताया जा रहा है कि धीरूभाई ने एक बार दुबई के एक शेख को मिट्टी बेच दी थी. दरअसल दुबई के शेख को अपने यहां गुलाब का गार्डन बनाना था. इसके लिए धीरूभाई अंबानी ने दुबई के इस शेख के लिए भारत से मिट्टी भेजी और इसके बदले उससे इसके पैसे वसूले. पॉलिस्टर के बिजनेस के दम पर धीरूभाई ने मुंबई के यार्न उद्योग पर अपना कब्जा कर लिया था.
6 जुलाई, 2002 को हार्ट अटैक से हुई मौत
1981 में धीरूभाई अंबानी के बड़े बेटे मुकेश अंबानी ने अपने पिता के बिजनेस में हाथ बंटाने लगे. पॉलिस्टर फाइबर से पेट्रोकेमिकल और पेट्रोलियम बिजनेस की तरफ शिफ्ट किया. इसके बाद से रिलायंस ग्रुप ने एक से बढ़कर एक सफलता हासिल की. उन्होंने कुछ ही सालों में बड़ी तेजी से विकास किया. आज यह देश की सबसे बड़ी कंपनी है. बता दें कि रिलायंस देश की पहली कंपनी थी, जो फोर्ब्स की 500 लिस्ट में शामिल हुई थी. भारत में बिजनेस के क्षेत्र में धीरूभाई अंबानी के योगदान को देखते हुए सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण अवार्ड से नवाजा था. 6 जुलाई, 2002 को हार्ट अटैक के चलते धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया था.
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