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सरकारी दस्तावेज से हटा 'हलाल' शब्द, मोदी सरकार का बड़ा फैसला

प्रसिद्ध लेखक हरिंदर एस सिक्का समेत कई लोगों ने इस संदर्भ में सोशल मीडिया में इसको लेकर जानकारी साझा की है. हरिंदर एस सिक्का ने सरकार के इस कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पीयूष गोयल को धन्यवाद दिया है.

Updated on: 05 Jan 2021, 08:36 AM

नई दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार के कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority-APEDA) ने रेड मीट मैन्युअल में से हलाल (Halal) शब्द को हटाने का निर्णय लिया है. एपीडा ने हलाश शब्द के बगैर ही नए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं.

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अनिवार्य नहीं होगा हलाल सर्टिफिकेट
प्रसिद्ध लेखक हरिंदर एस सिक्का समेत कई लोगों ने इस संदर्भ में सोशल मीडिया में इसको लेकर जानकारी साझा की है. हरिंदर एस सिक्का ने सरकार के इस कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पीयूष गोयल को धन्यवाद दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर लिखा है कि सरकार का यह कदम एक देश, एक नियम के तहत लिया गया फैसला है. उन्होंने आगे लिखा है कि यह कदम हलाल मीट परोस रहे सभी रेस्टोरेंट और होटल्स के लिए एक संदेश है. उन्होंने लिखा है कि अब हलाल सर्टिफिकेट अनिवार्य नहीं होगा और अब सभी वैध मीट कारोबारी अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. 

बता दें कि APEDA ने फूड सेफ्टी मैनेजमेंट सिस्टम के स्टैंडर्ड्स और क्वालिटी मैनेजमेंट के डॉक्यूमेंट में बदलाव कर दिया है. पहले इस डॉक्यूमेंट में लिखा हुआ था कि जानवरों को हलाल प्रक्रिया का पालन करते हुए जबह किया जाता है. इसके तहत इस्लामी देशों की जरूरतों का खास ध्यान रखा जाता है. वहीं अब इस डॉक्यूमेंट में मीट को जहां इंपोर्ट किया जाना है, उस देश के मुताबिक जानवरों का जबह किया गया है. बता दें कि डॉक्यूमेंट में पूर्व में लिखा गया था कि इस्लामी संगठनों की मौजूदगी में जानवरों को हलाल प्रक्रिया के तहत जबह किया है. वहीं डॉक्यूमेंट में अब लिखा हुआ है कि आयात करने वाले देश की जरूरत के मुताबिक जानवरों को जबह किया गया है.

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एसडीएमसी की स्थायी समिति ने प्रस्ताव को मंजूरी दी
दरअसल, बीजेपी के नेतृत्व वाली दक्षिण दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है, जिसमें रेस्तरां या दुकानों से इसका अनिवार्य प्रदर्शन करने के लिए कहा गया है कि क्या उनके द्वारा बेचा या परोसा जा रहा मांस 'हलाल' या 'झटका' विधि का उपयोग करके काटा गया है. हालांकि इस प्रस्ताव को अब एसडीएमसी के सदन में पारित किया जाना बाकी है जिसमें बीजेपी का नियंत्रण है. एसडीएमसी के पैनल द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया, 'दक्षिण दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले चार जोन के 104 वार्डों में हजारों रेस्तरां हैं. इनमें से लगभग 90 प्रतिशत रेस्तरां में मांस परोसा जाता है, लेकिन उसमें इसके बारे में नहीं बताया जाता है कि रेस्तरां द्वारा परोसा जा रहा मांस 'हलाल' विधि से काटा गया है या 'झटका' विधि से.' इसी तरह मांस की दुकानों में भी यह नहीं बताया जाता है.

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हिंदू धर्म और सिख धर्म के अनुसार, 'हलाल' मांस खाना मना
प्रस्ताव में आगे कहा गया है, 'हिंदू धर्म और सिख धर्म के अनुसार, 'हलाल' मांस खाना मना है और धर्म के खिलाफ है. इसलिए, समिति इस संबंध में प्रस्ताव पारित करती है कि रेस्तरां और मांस की दुकानों को यह निर्देश दिया जाए कि वे उनके द्वारा बेचे जाने और परोसे जाने वाले मांस के बारे में अनिवार्य रूप से लिखें कि यहां 'हलाल' या 'झटका' मांस उपलब्ध है.' स्थायी समिति के अध्यक्ष राजदत्त गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि इस प्रस्ताव को सदन द्वारा मंजूरी मिलने के बाद, रेस्तरां और मांस की दुकानों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना होगा कि क्या उनके द्वारा बेचे जा रहे मांस 'हलाल या झटका' विधि का उपयोग करके काटे गए हैं. एपीडा के पूरे डॉक्यूमेंट को यहां https://apeda.gov.in/apedawebsite/Announcements/RED_MEAT_MANUAL_.pdf  पढ़ें. (इनपुट भाषा)