पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) अब पंच तत्व में विलीन हो चुकी हैं. इस धरती से भले ही वह रुखसत हो चुकी हों पर लोगों के दिलों में उनका स्थान हमेशा बना रहेगा. चाहे सत्ता पक्ष की ओर से या विपक्ष की ओर से, सुषमा स्वराज अपने तर्कों से सामने वाले को चुप कर देती थीं. यह सब यूं ही नहीं था. यह उनके गुरु की देन थी. उनके गुरु की ही कृपा का असर था कि वह हर मोर्चे को फतह कर लेती थीं. आइए जानें कौन हैं सुषमा के गुरु...
सुषमा स्वराज भारतीयता की प्रतीक थीं, धार्मिक थीं वह भगवत गीता का अक्सर ज़िक्र करती थीं. कृष्ण मेरे गुरु हैं. सुषमा स्वराज ने यह ट्वीट किया था. Sushma Swaraj @SushmaSwaraj---श्री कृष्ण ही मेरे गुरु हैं और श्रीमद भगवद गीता मेरी मार्गदर्शिका. आज गुरुपूर्णिमा के अवसर पर भगवन कृष्ण के श्री चरणों में मेरा बार बार प्रणाम. Lord krishna is my Guru. Shrimad Bhagvad Gita is my guide. On the auspicious occasion of Guru Purnima, my pranam to Lord Krishna. 9:38 पूर्वाह्न · 27 जुल॰ 2018
कृष्ण भक्ति की वजह से बेटी का नाम बांसुरी रखा
सुषमा की एक बेटी है, जिनका नाम बांसुरी कौशल है। उन्होंने बेटी का नाम बांसुरी इसलिए रखा था, क्योंकि वह श्रीकृष्ण की बड़ी भक्त थीं। बांसुरी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है. वह इनर टेम्पल से कानून में बैरिस्टर की डिग्री लेने के बाद क्रिमिनल लॉयर बनीं. बांसुरी दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में क्रिमिनल लॉयर हैं. बांसुरी चर्चा में उस वक्त आईं थी जब IPL के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी पासपोर्ट मामले में राहत मिलने के बाद बांसुरी समेत 8 लोगों को ट्विटर पर बधाई दी थी. दरअसल ललित मोदी ने इस दौरान अपनी लीगल टीम को बधाई दी थी. इस लीगल टीम में बांसुरी का नाम भी शामिल था. जिस समय ललित मोदी को राहत मिली उस समय वे कोर्ट में ही मौजूद थी.
12 दिसंबर 2018
कुरुक्षेत्र में गीता जयंती महोत्सवः में बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गई थीं
सुषमा स्वराज ने कहा था कि विश्व कल्याण के लिए प्रत्येक युवा को पवित्र ग्रंथ गीता का संदेशवाहक बनना होगा। इसके लिए प्रत्येक युवा को गीता में जीना होगा और प्रत्येक दिन कम से कम पवित्र ग्रंथ गीता के 2 श्लोकों को अपने जीवन में धारण करना होगा। सुषमा स्वराज अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के दौरान थीम पार्क में आयोजित वैश्विक गीता पाठ कार्यक्रम में मुख्यातिथि थीं। सुषमा स्वराज व स्वामी ज्ञानानंद ने 700 श्लोकों को कंठस्थ करने वाले पानीपत के छात्र हर्षवर्धन जैन को सम्मानित किया।
20 दिसंबर 2011 : भगवद गीता को राष्ट्रीय पुस्तक का दर्जा दीजिये
15 मार्च 2017
दो साल पहले जब बीमारी के बाद दुबारा संसद में लौटीं तो कहा कि आप की शुभकामनाओं और मेरे कृष्ण की कृपा है की मन संसद में वापस लौटी हूँ
11 जून 1996
राम राज्य एक झटके के बाद मिलता है
1996 का संसद में उनका भाषण बरबस याद आ जाता है जब वाजपेयी सरकार पर विश्वास का संकट था। यहां उस दौरान उनके भाषणों के कुछ अंश को हम आपके सामने रखेंगे। संसद की वो तारीख यानि 11 जून 1996 का दिन बरबस याद आ जाता है कि जब वाजपेयी जी की सरकार गिर चुकी थी और सुषमा स्वराज ने लच्छेदार और तर्क के साथ अपनी सरकार का बचाव किया।