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गुरदासपुर चुनाव: सुनील जाखड़ और नवजोत सिंह सिद्धू
पंजाब के गुरदासपुर की जीत कांग्रेस के लिये संजीवनी बनकर आई है। लेकिन बीजेपी की हार उसके लिये चिंता का कारण बन रहा है। गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस उपचुनाव के परिणाम से कई मायने निकाले जा सकते हैं।
इस चुनाव में जहां कांग्रेस के लिये अच्छी खबर है वहीं पंजाब विधानसभा चुनावों में एक बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी आम आदमी पार्टी का पंजाब में भविष्य।
वहीं तमाम दावों और केंद्र सरकार की तथाकथित जनयोजनाओं के बावजूद करारी हार को देखते हुए बीजेपी के लिये आत्ममंथन का दौर है। इसके अलावा हिमाचल और दुजरात के
चुनाव भी हैं इससे उन्हें देखना होगा कि वो बीजेपी किस तरह से इन राज्यों में अपने प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त होगी जहां वो सत्ता में आने को लेकर आश्वस्त है। वो भी नोटबंदी
और जीएसटी और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे फैसलों पर जो लगातार अपनी पीट थपथपाती रही हो।
जीत के बाद कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जाखड़ ने इसे 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस की सत्ता वापसी की बुनियाद बनेगा। वहीं विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी को ज्यादा नुकसान हुआ है। इस उप चुनाव में उसकी जमानत जब्त हो गई है।
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गुरदासपुर सीट बीजेपी के सांसद विनोद खन्ना के निधन के बाद ये सीट खाली हुई थी। कांग्रेस के सुनील जाखड़ ने बीजेपी के स्वर्ण सिंह सलारिया को 1 लाख 93 हज़ार के अंतर से
हराया है।
जाखड़ की जीत से कांग्रेस का उत्साह तो बढ़ा ही है, उसके साथ ही कैप्टन अमरिंदर सिंह का भी कद बढ़ा है। इस जीत से उन्होंने अपने विरोधियों को भी जवाब दिया है।
गुरदासपुर में कांग्रेस की जीत के लिये क्या सरकार की नीतियों को दोषी माना जाए? जिस तरह से जीएसटी को लागू किया गया है उससे व्यापारी वर्ग काफी नाराज है। सरकार को भी इस बात का अंदेशा है और इसी कारण हाल ही में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में 26 वस्तुओं से जीएसटी की दर को कम करने की घोषणा की गई ताकि व्यापारियों की
नाराज़गी चुनावों में न झेलनी पड़े।
कालेधन पर रोक लगाने की दिशा में नोटबंदी को एक बड़ा कदम बताया गया लेकिन उसका भी बहुत असर नहीं दिख रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश चुनाव में जीत का सेहरा बीजेपी ने
नोटबंपदी के सर पर ही बांधा था।
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इस साल पंजाब विधानसभा चुनावों के पहले बीजेपी-अकाली सरकार के दौरान सुनील जाखड़ नेता विपक्ष रह चुके हैं।
चुनाव में बीजेपी की हार के पीछे उसके और अकाली आकाली दल के बीच बढ़ी दूरियां हैं भी एक बड़ी वजह है। इसके अलावा कांग्रेस की सरकार कुछ महीने पहले ही चुनी गई है और
उसके खिलाफ अभी कोई माहौल नहीं है। जनता अमरिंदर सरकार को मौका देनी चाह रही है। जबकि मोदी सरकार के खिलाफ एक माहौल माना भी जा सकता है। साथ ही
बीजेपी-अकाली सरकार के खिलाफ जनता में नाराज़गी अभी भी है।
गुरदासपुर में जीत के लिये पंजाब कांग्रेस की पूरी इकाई लगी हुई थी। अमरिंदर के अलावा, नवजोत सिंह सिद्धू और मनप्रीत बादल भी प्रचार में लगे थे।
बीजेपी के उम्मीदवार स्वर्ण सलारिया पर बालात्कार के आरोप लगा था। लेकिन सलारिया का कहना है कि उन पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित थे।
आइये देखते हैं गुरदासपुर सीट का चुनावी इतिहास:
जाखड़ की जीत का अंतर इस सीट पर अब तक का सबसे बड़ा है। लेकिन देखा जाए तो इस चुनाव क्षेत्र से पारंपरिक रूप से कांग्रेस जीतती रही है। 16 बार हुए चुनावों में बीजेपी सिर्फ
4 बार जीती है, इमजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के वाईडी शर्मा ने जीत दर्ज की थी।
फिल्म एक्टर विनोद खन्ना ने 1998, 1999, 2004 और 2014 में इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी।
इसके अलावा 16 लोकसभा चुनावों में गुरदासपुर ने 9 बार हिंदू उम्मीदवारों को लोकसभा भेजा है, वहीं सिख उम्मीदवार को 7 बार संसद भेजा गया है। जाखड़ कांग्रेस के हिंदू
उम्मीदवार हैं।
आम आदमी पार्टी की जमानत ज़ब्त-
पंजाब में दूसरे नंबर पर राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी आम आदमी पार्टी के लिये चुनाव परिणाम काफी निराशजनक रहा। राजनीतिक तौर पर आश्चर्यजनक रहा है क्योंकि उसके
उम्मीदवार मेजर जनरल (रिटायर्ड) सुरेश कुमार खजूरिया की जमानत जब्त हो गई और उसे सिर्फ महज 23,579 वोट मिले।
ये आम आदमी पार्टी के लिये बड़ा झटका है, विधानसभा चुनावों में आप को एक बड़ी ताकत के रूप में माना जा रहा था। लेकिन चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि आम आदमी
पार्टी को राज्य में पैर जमाने में समय लगेगा।
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आम आदमी पार्टी की साख को भी धक्का लगा है। राज्य इकाई में आपसी कलह भी ज्यादा है। इसके अलावा भगवंत मान कई बार विवादों में भी आए हैं जिसके कारण राज्य में
उनकी छवि अच्छी नहीं बन पाई है।
इसके अलावा पिछले दिनों पार्टी के भगवंत मान के नशे में होने के कुछ वीडियो भी सामने आए थे, जिसकी वजह से पार्टी की साख को धक्का लगा।
इस जीत को कांग्रेस गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनावों में मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं की हार के तौर पर पेश करेगी। कांग्रेस ने इस सीट को बीजेपी से छीना है, जाहिर है कि वो इस कि वो इसे जनता के बीच अपनी राजनीतिक जीत के तौर पर पेश करेगी।
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Source : Pradeep Tripathi
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