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नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गनर का गुरुग्राम में 97 वर्ष की उम्र में निधन

वह अपने दो बेटो कर्नल ओ. पी. यादव, अशोक यादव और बेटियों सुशीला और ओमवती के साथ रह रहे थे. उन्हें स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी समिति के पदाधिकारियों तथा जिला प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी.

Updated on: 12 Dec 2020, 10:30 PM

नई दिल्ली:

 सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) के गनर रहे स्वतंत्रता सेनानी जगराम यादव (97) का शनिवार सुबह गुरुग्राम में निधन हो गया. यादव का शनिवार सुबह यहां सेक्टर-15 स्थित उनके आवास पर निधन हो गया, जहां वह अपने दो बेटो कर्नल ओ. पी. यादव, अशोक यादव और बेटियों सुशीला और ओमवती के साथ रह रहे थे. उन्हें स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी समिति के पदाधिकारियों तथा जिला प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी.

स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी समिति गुरुग्राम इकाई के अध्यक्ष कपूर सिंह दलाल तथा महासचिव सूबेदार बिजेंद्र सिंह ठाकरान ने बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध में जगराम को पैर व हाथ में बम व गोली लगने के बावजूद भी उन्होंने अंतिम समय तक लड़ाई में भाग लिया. स्वतंत्रता सेनानी के अंतिम संस्कार के दौरान कई जिला प्रशासन के अधिकारी, पुलिस और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

आपको बता दें कि सुभाष चंद्र बोस देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक रहे हैं उनकी रहस्यमयी मौत से लेकर इतिहास में दबे तमाम अन्य प्रश्न सिर उठा रहे हैं. इनमें सबसे प्रमुख तो यही है कि आखिर गांधीजी (Mahatma Gandhi) के 'पूर्ण स्वराज' औऱ 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' जैसे आंदोलन से रत्ती भर भी विचलित नहीं होने वाले अंग्रेज हुक्मरानों ने आनन-फानन में भारत को आजाद करने का फैसला क्यों कर लिया? इस कड़ी में संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर (Baba Saheb Ambedkar) का बीबीसी को दिया इंटरव्यू भी लोगों को याद आ रहा है, जो बताता है कि ब्रितानियों ने गांधीजी के आंदोलनों के भय से नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी इंडियन नेशनल आर्मी (Indian National Army) के डर से भारत को आजाद करना श्रेयस्कर समझा था. इस इंटरव्यू में गांधीजी औऱ नेताजी को लेकर और भी कई बातें कही गई हैं, जो भारतीय इतिहास को नए सिर से परिभाषित करने पर विवश करती हैं.

बीबीसी को दिए साक्षात्कार में कही ये बात...
'बीबीसी' के फ्रांसिस वॉटसन को फरवरी 1955 में दिए गए इस साक्षात्कार से पता चलता है कि 1947 में अंग्रेजों के भारत छोड़ने के पीछे की मुख्य वजह क्या थी. साथ ही पता चलता है कि किस तरह नेताजी के योगदान को कम करके आंका गया और पेश किया गया. इस साक्षात्कार में बाबा साहब साफतौर पर कहते हैं, 'भारत को तुरत-फुरत आजादी देने का सही कारण तो तभी सामने आएगा जब ब्रिटिश पीएम प्रधानमंत्री क्लिमैन्ट रिचर्ड एटली अपनी आत्मकथा लिखेंगे. हालांकि मेरी नजर में इसके जो प्रमुख कारण हैं, उनमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भारत लौटने की संभावना और दूसरी उनकी बनाई फौज इंडियन नेशनल आर्मी.'

इंडियन नेशनल आर्मी का डर
फ्रांसिस वॉटसन से इस साक्षात्कार में बाबा साहब आंबेडकर कहते हैं, 'अंग्रेज मान कर चले रहे थे कि ब्रिटिश फौज में शामिल हिंदुस्तानी कभी भी उनके प्रति अपनी वफादारी नहीं बदलेंगे. यह अलग बात है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आईएनए के पराक्रम के किस्से सुनने के बाद ब्रिटिश फौज में शामिल भारतीय सैनिकों के मन में भी विद्रोह के स्वर फूटने लगे थे. इसके अलावा आईएनए के 40 हजार सैनिकों के भारत आने की खबर से उन्हें लगता था कि नेताजी की सेना अंग्रेजों का समूल नाश कर देगी. यही वजह है कि नेताजी और आईएनए के डर से तत्कालीन ब्रिटिश पीएम ने भारत को तुरत फुरत आजाद किया.'