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गुजरात: पोरबंदर में महात्मा गांधी की प्रतिमा से चश्मा ग़ायब

देश भर में जगह-जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जन्मदिवस मनाया गया। हर राजनीतिक पार्टियां गांधी जी का गुणगान और उनके विचारों पर बात करते दिखें। लेकिन जमीनी स्तर पर गांधी जी की फ़िक्र किसी को नहीं दिखी। पोरबंदर में पिछले 3 दिन से बिना चश्मा के दिख रहे है।

Updated on: 03 Oct 2017, 10:33 PM

नई दिल्ली:

पोरबंदर में पिछले तीन दिनों से महात्मा गांधी की मूर्ति से चश्मा ग़ायब है। लेकिन अब तक इस मामले की किसी ने सुध तक नहीं ली है। 

देश भर में 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिवस मनाया गया। हर राजनीतिक पार्टियां गांधी जी का गुणगान और उनके विचारों पर बात करते दिखें। लेकिन जमीनी स्तर पर गांधी जी की फ़िक्र किसी को नहीं दिखी। पोरबंदर में पिछले 3 दिन से गांधी जी के प्रतिमा से चश्मा गायब है।

शहर के मानेक चौक इलाके में राष्ट्रपिता का एक प्रतिमा लगी हुई है, जिसपर फूलों की माला भी चढ़ी हुई है लेकिन उस प्रतिमा पर पिछले तीन दिनों से उनका चश्मा नदारद है।

राहुल गांधी ने नवसृजन यात्रा की शुरूआत की थी।25 सितंबर को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सौराष्ट्र के मशहूर द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन करके अपनी 3 दिवसीय नवसृजन यात्रा की शुरुआत की थी।

वहीं रविवार को पोरबंदर में बीजेपी ने गुजरात गौरव यात्रा की शुरुआत की थी। इस दौरान अमित शाह ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर उनकी यात्रा के दौरान दिए गए बयान पर तंज कसा था। उन्होंने कहा था, 'राहुल को गुजराती चश्मे पहनने की जरूरत है जो इटली में ना बनी हो। इसके बाद ही उन्हें गुजरात में विकास दिखाई देगा। अगर राहुल को गुजरात के सपने आते हैं तो उनको पूरा करने के लिए इटली नहीं पोरबंदर आना पडे़गा।'

प्रधानमंत्री मोदी ने भी गांधी जयंती के मौके पर ट्वीट कर लिखा था, 'गांधी जयंती पर बापू को शत-शत नमन। उनके महान विचारों ने दुनिया में लाखों लोगों को प्रभावित किया है।

अपने ट्वीट के साथ पीएम मोदी ने एक ऑडियो-वीडियो संदेश भी साझा किया हैं जिसमें उन्होंने कहा है, 2 अक्तूबर को पोरबंदर की धरती पर एक युग का जन्म हुआ था। वे किसी देश की सीमाओं में समाहित होने वाला व्यक्तित्व नहीं थे बल्कि वह एक विश्व मानव थे। महात्मा गांधी आज भी दुनिया के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं जितने वह अपने जीवन काल में थे और ऐसा उनका व्यक्तित्व दुनिया के लिए एक अजूबा है।

गांधी जी के नाम पर हर एक राजनीतिक पार्टी राजनीति करती ही नजर आयी क्योंकि असल में तो उस महान व्यक्ति की उसकी जन्मधरती पर ही कोई सुध लेने वाला नहीं है। गांधी जयंती निकल जाती है लेकिन राष्ट्रपिता की मूर्ती बिना चश्मा के ही रह जाती है।

2 अक्टूबर 1869 को ही गुजरात के पोरबंदर शहर में महात्मा गांधी का जन्म हुआ था।

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