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गुजरात चुनाव: पहले चरण के लिए थमा प्रचार, जानें खास बातें

गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए महीनों चले धुंआधार प्रचार अभियान गुरुवार शाम को थम गया। पहले चरण के तहत 9 दिसंबर को 89 सीटों पर वोट डाले जाएंगे।

Updated on: 07 Dec 2017, 07:33 PM

highlights

  • गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए थमा प्रचार, शनिवार को डालें जाएंगे वोट
  • 182 सीटों में से 89 सीटों पर होगी वोटिंग, विजय रुपाणी समेत 977 उम्मीदवार चुनाव मैदान में

नई दिल्ली:

गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए महीनों चले धुंआधार प्रचार अभियान गुरुवार शाम को थम गया। पहले चरण के तहत 9 दिसंबर को 89 सीटों पर वोट डाले जाएंगे।

इस चरण में सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में चुनाव होगा। 89 सीटों पर मुख्यमंत्री विजय रुपाणी समेत 977 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। चुनाव आयोग ने मतदान के लिए पूरी तैयारियां कर ली है।

गुजरात में 14वीं विधानसभा का चुनाव दो चरणों हो रहे हैं। पहला चरण 9 दिसंबर को जबकि दूसरा 14 दिसंबर को निर्धारित किया गया है।

गुजरात में 4.33 करोड़ मतदाता हैं। चुनाव में वीवीपीएटी लगी ईवीएम का प्रयोग किया जाएगा। गुजरात में 50,128 केंद्रों पर मतदान किया जाएगा। यह पहली बार है कि पूरे राज्य में वीवीपीएटी का प्रयोग किया जा रहा है। वर्तमान गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 22 जनवरी, 2018 को समाप्त हो रहा है।

पिछले चुनाव का हाल
89 सीटों में से 2012 के विधानसभा चुनाव में 35 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। 20 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी। वहीं 2 सीटों पर केशुभाई पटेल की पार्टी गुजरात परिवर्तन पार्टी और एक सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के उम्मीदवार ने जीत दर्ज किया था।

बीजेपी-कांग्रेस में कड़ा मुकाबला
आपको बता दें कि बीजेपी गुजरात में लगातार 22 सालों से सत्तारूढ़ है। वहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि वह दो दशक बाद एक बार फिर वापसी करेगी। गुजरात नवसर्जन यात्रा के तहत कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी चार बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं।

उनके निशाने पर पीएम मोदी के 'गुजरात मॉडल' के अलावा नोटबंदी, जीएसटी जैसा फैसला था। साथ ही उन्होंने रोजगार, महंगाई और किसान को लेकर मोदी सरकार पर लगातार हमला बोला।

राहुल ने जीएसटी को 'गब्बर सिंह टैक्स' कहकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को आड़े हाथों लिया था। जिसके बाद केंद्र सरकार ने 100 से अधिक वस्तुओं पर जीएसटी दर कम किये। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कर दिया कि यह फैसला किसी राजनीतिक दबाव में नहीं लिया गया है।

राहुल ने पाटीदार आरक्षण और दलित-आदिवासियों की आवाज को भी मुखर रूप से उठाया।

राहुल ने दलित नेता जिग्नेश मेवाणी, पाटिदार नेता हार्दिक पटेल और ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर को कांग्रेस के पक्ष में लाने की भरपूर कोशिश की। जिसमें उन्हें काफी हद तक सफलता मिली।

कांग्रेस ने दावा किया है कि पार्टी अगर सत्ता में आती है तो छोटे उद्यमियों को बढ़ावा देगी, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान होंगें। साथ ही कांग्रेस ने किसान कर्जमाफी का वायदा किया है।

गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार में राहुल का अलग और आक्रामक अंदाज में देखने को मिला है। अपने दौरे के दौरान मंदिर जाना, आम आदमी की तरह होटलों में खाना, चाय की चुस्की लेना और भीड़ के बीच जाकर लोगों से मुलाकात करना राहुल की आदत में शुमार रहा।

मोदी और बीजेपी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी की जीत के लिए कई रैलियां की। उनके साथ कई केंद्रीय मंत्री भी गुजरात में डेरा डाले हैं। पीएम मोदी ने हर एक रैली में राज्य की विकास गाथा की चर्चा के साथ कांग्रेस पर हमला बोला।

4 दिसंबर को पीएम मोदी ने कांग्रेस पार्टी को एक सल्तनत बताते हुए कहा कि यहां केवल एक ही परिवार राज कर सकता है। मोदी ने यह भी कहा कि कांग्रेस को गुजरात पसंद नहीं है और पार्टी गुजरात से नफरत करती है, इसलिए गुजरात के लोगों को चाहिए कि वे कांग्रेस को इसके लिए सबक सिखाएं।

मोदी ने कहा, 'मैं कांग्रेस को उनके 'औरंगजेब राज' पर बधाई देता हूं। हमारे लिए लोगों का कल्याण महत्वपूर्ण है और 125 करोड़ भारतीय हमारे हाईकमान हैं।'

बीजेपी ने गुजरात में राम मंदिर और अयोध्या विवाद पर कपिल सिब्बल की दलील को भी खूब उछाला।

गुजरात में विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने कांग्रेस नेता अहमद पटेल पर सनसनीखेज आरोप लगाये। उन्होंने कहा कि गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) की ओर गिरफ्तार आईएस आतंकी पटेल के संरक्षण वाले अस्पताल में नौकरी करते थे। हालांकि अहमद पटेल ने इसे खारिज किया था।

चुनाव प्रचार के आखिरी दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर के 'नीच' बोल पर गुजरात में सियासी पार खूब चढ़ा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अय्यर को आड़े हाथों लेते हुए कहा 'आप ऐसे लोग हैं जो जाति के आधार पर भेदभाव करते हैं, हम नहीं। उनको परेशानी महसूस हो रही है। आप हमें 'गंदी नली का कीड़ा' कहकर पुकारते हैं, आप हमें नीच जाति का कहकर बुलाते हैं लेकिन हम अपनी संस्कृति नहीं छोड़ेंगे।'