गैर भाजपा शासित राज्यों ने जीएसटी व्यवस्था के तहत राजस्व क्षतिपूर्ति के बकाए को लेकर केंद्र को बुधवार को आड़े हाथ लिया और कहा कि ‘सरकार डिफॉल्ट (भूगतान में चूक) की राह पर है.’’ उनका कहना है कि केंद्र ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की यहां 38वीं बैठक में राज्यों के जीएसटी के बकायों का समय पर भुगतान करने की कोई गारंटी नहीं दी. संविधान संशोधन के जरिये राज्यों को केंद्र की तरफ से जीएसटी में राजस्व क्षतिपूर्ति की गारंटी गारंटी दी गई है. जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई मासिक आधार पर की जाती है.
इसको लेकर केंद्र और राज्यों के बीच तनाव के चलते जीएसटी परिषद में आम सहमति से निर्णय की परंपरा टूट गयी. बैठक में निर्णय के लिए मतदान का भी सहारा लिया गया. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने इस रुख को दोहराया कि केंद्र सरकार सहकारी संघवाद के सिद्धांत को लेकर प्रतिबद्ध है. वहीं गैर भाजपा शासित राज्यों पंजाब और केरल के वित्त मंत्रियों ने कहा कि वित्त मंत्री स्पष्ट तौर पर यह भरोसा दिलाने में विफल रही हैं कि जीएसटी मुआवजे का भुगतान समय पर किया जाएगा. जीएसटी परिषद की बैठक के बाद पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि यह एक दुखद दिन है. केंद्रीय वित्त मंत्री इस बात का आश्वासन नहीं दे पाईं कि राज्यों को मुआवजे का भुगतान समय पर किया जाएगा या नहीं.
बादल ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि राजस्व की स्थिति अच्छी नहीं है लेकिन हमें यह नहीं पता था कि राजस्व की स्थिति इतनी खराब है कि वित मंत्री परिषद की बैठक में यह आश्वासन भी नहीं दे पाईं कि राज्यों का भुगतान समय पर किया जाएगा या नहीं. केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि केंद्र के पस जीएसटी मुआवजा कोष में पर्याप्त राशि है, लेकिन अगस्त से भुगतान में देरी की जा रही है. उन्होंने बताया कि परिषद की पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई बैठक के ब्योरे में स्पष्ट था कि मुआवजा कोष में कमी की स्थिति में परिषद कर्ज लेकर राज्यों का भुगतान करेगी. पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि राज्यों को मुआवजे के भुगतान के लिए फरवरी के बाद से कोई पैसा नहीं है. परिषद की बैठक में लॉटरियों पर कर की समान दर लागू करने को लेकर मतदान किया गया.
ऐसा पहली बार हुआ है कि जबकि मतदान किया गया है. इससे पिछली 37 बैठकों में इस तरह के फैसले सर्वसम्मति से लिए गए. जीएसटी परिषद की 38वीं बैठक में लॉटरी पर जीएसटी की दर को लेकर राज्यों के बीच सहमति नहीं बन पाई. सूत्रों ने कहा कि उसके बाद जिन सात राज्यों में लॉटरी वैध है, उनके हितों को ध्यान में रखकर मतदान का फैसला किया गया. करीब 21 राज्यों ने, जिनमें ज्यादातर भाजपा शासित हैं 28 प्रतिशत की दर के पक्ष में मतदान किया. यह एक मार्च से लागू होगी. अभी लॉटरी पर जीएसटी की दो प्रकार की दरें लगती हैं. इनमें किसी राज्य की लाटरी उसी राज्य में बिक रही हो तो उस पर 12 प्रतिशत की दर से जीसटी लगता है. दूसरे राज्य में बिक्री पर जीएसटी की 28 प्रतिशत की दर लागू होती है.
Source : Bhasha