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पराली जलाने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, सरकार ने निकाला ये विकल्प

हरियाणा के करनाल में पराली से CNG बनाने का बहुत बड़ा कारखाना शुरू हो गया है ,इसमें किसान को पैसा मिलता है किसान का कोई खर्च नही है,गैस भी IGL खरीद लेती है. 

Updated on: 19 Oct 2020, 04:44 PM

नई दिल्‍ली:

धान के फसल का बचा हुआ हिस्सा या जिसे हम अवशेष कहते हैं इसी को पराल के नाम से जाना जाता है. हरियाणा सरकार ने पराली को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है रिन्यूवल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (हरेडा) और इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड (IOCL) मिलकर पराली से कंप्रेस्ड बायो गैस (CBG) बनाएंगे.  हरियाणा में करीब 200 सीबीजी प्लांट लगाए जाएंगे. पहले चरण में 66 कंपनियों को प्लांट लगाने की मंजूरी दी गई है.  हरियाणा के करनाल में पराली से CNG बनाने का बहुत बड़ा कारखाना शुरू हो गया है ,इसमें किसान को पैसा मिलता है किसान का कोई खर्च नही है,गैस भी IGL खरीद लेती है. 

आपको बता दें कि पराली जलाने का सबसे ज्यादा असर देश की राजधानी दिल्ली में दिखाई देता है यहां पर सर्दियों से पहले ही पराली के धूंएं की वजह से कोहरे जैसा मौसम बन जाता है और लगातार लोगों की परेशानियों का सबब बनता है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि पराली से जो प्रदूषण होता है वो पूरे उत्तर भारत मे होता है. दिल्ली से ज्यादा उन किसानों के लिए चिंता होती है जो ये पराली जलाते है. पूसा के उस एक्सपेरिमेंट का दिल्ली सरकार दिल्ली में छिड़काव कर रही है जिससे प्रलय खाद में बदल जाएगी.

पंजाब में पराली से बनता है कोयला
उन्होंने आगे कहा कि, अगर पराली को लेकर बात पंजाब की करें तो आपको बता दें कि पंजाब में पराली से कोयला बनाने वाली 7 फैक्ट्रियां चल रही है, ये फैक्ट्रियां पराली से बने कोयले को NTPC को बेचती हैं. इसके अलावा अगर पराली के और उपयोग की बात करें तो पराली से से गत्ता भी बनता है, अगर हम सारी सरकारें मिल कर ऐसे काम करने लगे कि पराली जाने की बजाए ऐसी फैक्ट्री में लग जाये तो कितना फायदा होगा.

हरियाणा में पराली से बनेगी सीएनजी और खाद
आपको बता दें कि हरियाणा सरकार की इस पहल से वहां के निवासियों को पराली से हर साल फैलने वाले प्रदूषण से काफी हद तक निजात मिलेगी. प्रदेश में हर साल धान के सीजन में करीब 60 लाख मीट्रिक टन पराली निकलती है.  इसमें से 30 लाख फसली अवशेषों का निस्तारण खेतों में ही हो जाता है. बाकी 30 लाख मीट्रिक टन फसली अवशेष किसानों द्वारा जलाए जाते हैं. सरकार की योजना के मुताबिक पहले चरण में 26 लाख टन पराली प्रबंधन वाले 66 प्लांट लगाए जाएंगे.  इनमें कंप्रेस्ड बायो गैस के अलावा फर्टिलाइजर भी बनेगा.