प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कृषि और सहकारिता पर बजट के बाद के वेबिनार को संबोधित किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि कृषि बजट, जो 2014 में 25,000 करोड़ रुपये से कम था, अब बढ़कर 1,25,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
मोदी ने अपने संबोधन में कहा, हाल के वर्षों में हर बजट को गांव, गरीब और किसान का बजट कहा गया है। सरकार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों को किसानों के लिए सुलभ बनाने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा, बजट में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए लगातार विभिन्न निर्णय लिए जा रहे हैं ताकि देश आत्मनिर्भर बने और आयात में लगने वाला पैसा हमारे किसानों तक पहुंच सके।
जब तक कृषि क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों को समाप्त नहीं किया जाता है, तब तक पूर्ण विकास का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों को सुलभ बनाने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए कहा, आज भारत कई प्रकार के कृषि उत्पादों का निर्यात कर रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि जब आत्मनिर्भरता या निर्यात की बात आती है तो भारत का लक्ष्य चावल या गेहूं तक सीमित नहीं होना चाहिए।
कृषि क्षेत्र में आयात पर प्रकाश डालते हुए, मोदी ने 2021-22 में दालों के आयात के लिए 17,000 करोड़ रुपये, मूल्य वर्धित खाद्य उत्पादों के आयात के लिए 25,000 करोड़ रुपये और खाद्य तेलों के आयात पर 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने का उदाहरण दिया।
उन्होंने आगे कहा कि सभी कृषि आयातों का योग लगभग 2 लाख करोड़ रुपये था।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि बजट में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए लगातार विभिन्न फैसले लिए जा रहे हैं ताकि देश आत्मनिर्भर बने और आयात के लिए इस्तेमाल होने वाला पैसा किसानों तक पहुंच सके।
उन्होंने एमएसपी में वृद्धि, दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने, खाद्य प्रसंस्करण पार्कों की संख्या में वृद्धि और खाद्य तेल के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने के लिए मिशन मोड में काम करने का उदाहरण दिया।
मोदी ने बताया कि नौ साल पहले की तुलना में आज भारत में 3,000 से अधिक कृषि स्टार्टअप हैं।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS