हिजबुल मुजाहिदीन के गठन के लिए 'जमात-ए-इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर' जिम्मेदार: सूत्र
'जमात-ए-इस्लामी (जम्मू एंड कश्मीर) जिस पर प्रतिबंध लगाया गया है वो संगठन कश्मीर घाटी में अलगाववादी और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है.
नई दिल्ली:
भारत सरकार के सूत्र के मुताबिक, 'जमात-ए-इस्लामी (जम्मू एंड कश्मीर) जिस पर प्रतिबंध लगाया गया है वो संगठन कश्मीर घाटी में अलगाववादी और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है. इस संगठन का जमात-ए-इस्लामी से कोई लेना-देना नहीं है.' साल 1953 में 'जमात-ए-इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर' को बनाया गया था. भारतीय सूत्रों ने ये भी बताया, 'जमात-ए-इस्लामी (जम्मू-कश्मीर) कश्मीर में सक्रिय सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के गठन के लिए जिम्मेदार है. जमात-ए-इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर हिजबुल की पार्टी को फंडिंग करती रही है और उसे अपना समर्थन प्रदान करती रही है. एक तरह से हिजबुल मुजाहिदीन और जमात-ए-इस्लामी दोनों एक उग्रवादी संगठन है(JeI) '
Govt of India Sources: Jamaat-e-Islami (J&K) is responsible for formation of Hizbul Mujahideen, the biggest terrorist org active in J&K. JeI (J&K) has been providing support to HM in terms of recruits, funding, logistics, etc. In a way, HM is a militant wing of JeI (J&K).
— ANI (@ANI) March 1, 2019
Govt of India Sources: Jamaat-e-Islami (J&K), which has been banned, is the main organisation responsible for propagation of separatist and radical ideology in Kashmir valley. This organisation has nothing to do with Jamaat-e-Islami.
— ANI (@ANI) March 1, 2019
बता दें कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 जनवरी के दिन आतंकियों द्वारा आत्मघाती हमला किया गया जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. इसके करीब एक हफ्ते बाद भारत सरकार ने कश्मीर में अलगाववादियों और जमात-ए-इस्लामी पर कड़ी कार्रवाई की है. इसी क्रम में आज मोदी सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम 1967 की धारा 3 के तहत, जमात-ए-इस्लामी (JeI) को 'गैरकानूनी संघ' घोषित कर दिया है. जमात-ए-इस्लामी ऐसा पहला संगठन है जिसने इस्लाम की आधुनिक संकल्पना के आधार पर एक विचारधारा को तैयार किया.
क्या है जमात ए इस्लामी
जमात-ए-इस्लामी की स्थापना एक इस्लामिक-राजनीतिक संगठन और सामाजिक रूढिवादी आंदोलन के तौर पर ब्रिटिश भारत में 1941 में की गई थी. इसकी स्थापना अबुल अला मौदूदी ने की थी जो कि एक इस्लामिक आलिम (धर्मशात्री) और सामाजिक-राजनीतिक दार्शनिक थे. मुस्लिम ब्रदरहुड (इख्वान-अल-मुसलमीन, जिसकी स्थापना 1928 में मिस्त्र में हुई थी) के साथ जमात-ए-इस्लामी अपनी तरह का पहला संगठन था जिसने इस्लाम की आधुनिक संकल्पना के आधार पर एक विचारधारा को तैयार किया.