सरकार को पहले आरएसएस से जुड़े बीएमएस को एनएमपी पर राजी करना चाहिए : चिदंबरम
सरकार को पहले आरएसएस से जुड़े बीएमएस को एनएमपी पर राजी करना चाहिए : चिदंबरम
नई दिल्ली:
केंद्र की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) की आलोचना करने वाले पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने मंगलवार को सरकार से कहा कि वह पहले आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) को इस मुद्दे पर राजी करे।उन्होंने एक बयान में कहा, अगर पीएम, वित्त मंत्री और अन्य मंत्री नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन (राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन) के फायदे को लेकर इतने ही आश्वस्त हैं तो पहले भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) को भरोसे में क्यों नहीं लिया गया? बीएमएस एक आरएसएस से जुड़ा ट्रेड यूनियन है। क्या नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन के ऐलान से पहले भारतीय मजदूर संघ से सलाह ली गई थी?
चिदंबरम ने आरोप लगाया कि सच्चाई यह है कि किसी से सलाह नहीं ली गई। चिदंबरम ने आगे केंद्र पर हमला करते हुए कहा, सच्चाई ये है कि किसी से इसे लेकर संपर्क नहीं किया गया। छोटे पदाधिकारियों से गुमराह करने वाले बयान दिलाने की जगह उन्हें 3 सितंबर को मुंबई में पूछे गए मेरे 20 सवालों के जवाब देने चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने 3 सितंबर को केंद्र की प्रस्तावित एनएमपी पर 20 सवाल पूछे थे, जिसका मकसद कुछ संपत्तियों का मुद्रीकरण करना और इस पर अगले चार साल तक 6 लाख करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करना है।
यह कहते हुए कि सरकार को सवालों का जवाब देना चाहिए, उन्होंने एनएमपी के उद्देश्यों को जानने की मांग की और पूछा कि क्या यह केवल अगले चार वर्षों में राजस्व बढ़ाने का इरादा है। पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान विनिवेश या निजीकरण किए जाने वाले सार्वजनिक उपक्रमों की पहचान करने के लिए अपनाए गए मानदंडों का उल्लेख करते हुए, चिदंबरम ने सवाल किया कि क्या वर्तमान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) शासन के साथ भी ऐसा ही है।
यह इंगित करते हुए कि सड़कों/राजमार्गों जैसी बुनियादी परियोजनाओं के लिए, एक पीपीपी नीति पहले से मौजूद है, उन्होंने पूछा कि इस (पीपीपी) मॉडल और एनएमपी के तहत केंद्र द्वारा अपनाए जाने वाले मॉडल के बीच आखिर क्या अंतर है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने देश की व्यावसायिक राजधानी मुंबई में मीडिया को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
चिदंबरम ने सवाल पूछा था कि इसके अलावा, यदि कोई संपत्ति 30-50 वर्षों के लिए मुद्रीकृत है, तो उस कागज के टुकड़े का क्या मूल्य है, जो सरकार को उस संपत्ति का मालिक घोषित करता है और सरकार को किस तरह की संपत्ति वापस की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि चूंकि एनएमपी इस विषय पर चुप है, क्या सरकार अनुबंध में यह निर्धारित करेगी कि मूल्यह्रास की राशि को मूल्यह्रास आरक्षित खाते में रखा जाना चाहिए।
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