मंदसौर किसान आंदोलन के बाद हरकत में केंद्र-यूपी, राजस्थान और महाराष्ट्र को सीमा पर सतर्कता बढ़ाने के निर्देश

तेजी से बढ़ते आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश की सीमा से सटे अन्य राज्यों को सतर्क रहने का निर्देश जारी किया है। केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र की सरकार से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।

तेजी से बढ़ते आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश की सीमा से सटे अन्य राज्यों को सतर्क रहने का निर्देश जारी किया है। केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र की सरकार से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।

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Abhishek Parashar
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मंदसौर किसान आंदोलन के बाद हरकत में केंद्र-यूपी, राजस्थान और महाराष्ट्र को सीमा पर सतर्कता बढ़ाने के निर्देश

मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्यों को केंद्र ने दिया सतर्क रहने का निर्देश (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश के मंदसौर में शुरू हुए किसान आंदोलन के राज्य के दूसरे हिस्सों में फैलने के बाद केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। अभी तक किसानों का आंदोलन मंदसौर और उसके आस-पास के इलाकों में ही सीमित था, लेकिन अब यह मालवा के इलाकों में फैल चुका है।

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आंदोलन के 9वें दिन भी हिंसा और आगजनी की घटना हुई है। आंदोलनकारियों पर राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बातचीत की अपील को कोई असर होता नहीं दिख रहा है।

तेजी से बढ़ते आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश की सीमा से सटे अन्य राज्यों को सतर्क रहने का निर्देश जारी किया है। केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र की सरकार से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।

राजस्थान और उत्तर प्रदेश में हालांकि किसानों का कोई आंदोलन नहीं चल रहा है लेकिन महाराष्ट्र में किसान सड़कों पर हैं।

कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किए जाने की मांग को लेकर शुरु हुआ किसानों का आंदोलन अब केंद्र सरकार के चिंता का सबब बन चुका है। मामले की राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए केंद्र सधी रणनीति के साथ इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

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मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हुए किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री की तरफ से कोई बयान नहीं दिया गया है। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री ने शिवराज सरकार का बचाव करते हुए कह चुके हैं, 'हमारी सरकार ऐसा कोई काम नहीं करेगी, जिससे आम जनता और किसानों का भरोसा टूटे।'

वहीं दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर वापस लौट चुके तमिलनाडु के किसान फिर से सड़कों पर उतर आए हैं। तमिलनाडु के किसान चेपक इलाके में 32 दिनों के प्रदर्शन की शुरुआत कर चुके हैं। किसानों ने यह आंदोलन राज्य और केंद्र सरकार को उनके वादे को पूरा किए जाने की याद दिलाने के लिए किया है।

जंतर-मंतर पर तमिल किसानों की अगुआई कर चुके अयाकुन्नु ने कहा, 'मुख्यमंत्री पलानीसामी से मिलने के बद हमने आंदोलन को रोक दिया था क्योंकि उन्होंने हमें हमारी मांगों को पूरा किए जाने का वादा किया था। लेकिन अभी तक हमारी किसी मांग को पूरा नहीं किया जा सका है।'

अभी तक किसानों का आंदोलन राज्यों में सिमटा हुआ है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस किसानों के आंदोलन के तेज होने से पहले ही उसे सीमित करने में सफल रहे। ऐसा ही तमिलनाडु के किसान आंदोलन के साथ हुआ था।

हालांकि मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार किसानों के बीच पनप रहे असंतोष को भांपने में विफल रही। नतीजा एक हफ्तों के भीतर आंदोलन हिंसक हो गया और पुलिस की गोलीबारी में पांच से अधिक किसान मारे गए।

इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने बातचीत और शांति की अपील की लेकिन आंदोलन थमने की बजाए और तेजी से फैलता चला गया।

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राज्य में शांति बहाली को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठने का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने आंदोलनकारियों से बातचीत की अपील करते हुए आंदोलन वापस लेने को कहा है।

कृषि के राज्य का क्षेत्राधिकार होने की वजह से केंद्र अभी तक इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहा था लेकिन तेजी से फैलते आंदोलन और विपक्षी दलों के नेताओं के समर्थन के बाद केंद्र ने एहतियातन कार्रवाई शुरु कर दी है।

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HIGHLIGHTS

  • मंदसौर किसान आंदोलन के बाद यूपी, राजस्थान और महाराष्ट्र के संपर्क में केंद्र, सतर्कता बढ़ाने के निर्देश
  • मध्य प्रदेश के मंदसौर में शुरू हुआ किसान आंदोलन अब राज्य के अन्य हिंसों में फैल चुका है

Source : News Nation Bureau

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