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दार्जिलिंग में जीजेएम के बंद से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जीजेएम पर दबाव है कि वो अपनी मांगों को लेकर लचीला रुख अपनाएं और अगले हफ्ते आने वाली ईद को देखते हुए लोगों को राहत दे। उस पर यो दबाव सरकार के अलावा समर्थकों से भी पड़ रहा है।
जीजेएम के बंद के कारण इलाके में अस्पताल और बाकी बुनियादी सुविधाओं पर असर पड़ रहा है। जिसके कारण लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जीजेएम ने स्कूलों को भी धमकी दी थी कि वहां के बोर्डिंग स्कूलों में पढ़ रहे बाहरी बच्चों को वापस भेज दिया जाए।
दरअसल वहां पर सबसे बड़ी चिंता खाने की वस्तुओं की कमी है जिसका असर सीधे तौर पर लोगों के ऊपर पड़ रहा है। साथ ही मरीज़ों के लिये एंब्यूलेंस की कमी भी हो रही है। एंबियूलेंस ऑपरेटर मरीजों को ले जाने से मना कर रहे हैं। उनका कहना है कि जीजेएम के कार्यकर्ता उन्हें परेशान करते हैं।
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इधर राज्य सरकार ने भी लोगों से कहा है कि अगर वो कार्यालय नहीं आएंगे तो उनकी सैलरी काट ली जाएगी। लोगों को हो रही परेशानी से भी जीजेएम पर दबाव बन रहा है।
अंग्रेज़ी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इधर जीजेएम भी दबी आवाज़ में स्वीकार कर रही है कि लंबे समय तक का बंद से हो रही लोगों को दिक्कतों का उल्टा असर पड़ सकता है जिसका खामियाजा मोर्चा को भुगतना पड़ सकता है। इसके अपने समर्थक इससे नाराज़ हो सकते हैं।
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जीजेएम पर लोगों की नाराज़गी के बारे में पता भी चल रहा है खासकर मरीजों को हो रही दिक्कतों से लोगों में नाराज़गी बढ़ रही है। लोगों को प्राइवेट एंब्युलेंस का इस्तामाल करना पड़ता है क्योंकि दार्जिलिंग के सरकारी अस्पताल में सिर्फ दो एंब्युलेंस ही हैं और वो लोगों की ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पा रही।
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Source : News Nation Bureau