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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से SPG सुरक्षा वापस ले सकती है सरकार

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें खूफिया एजेंसियों रॉ और आईबी की तरफ से मिले इनपुट के बाद गृह मंत्रालय औऱ कैबिनेट सचिव ने तीन महीनों की समीक्षा बैठक की थी जिसकी बाद सरकार ने ये फैसला लिया

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Aditi Sharma
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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से SPG सुरक्षा वापस ले सकती है सरकार

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनकी एसपीजी सुरक्षा वापस ली जा सकती है. बताया जा रहा है कि कैबिनेट सचिवाल्य और गृह मंत्रालय द्वारा की गई समीक्षा के बाद ये फैसला लिया गया है. फिलहाल ये सुरक्षा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बच्चे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी उपलब्ध है. लेकिन अब सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि जल्द ही सरकार मनमोहन सिंह और उनके परिवार से एसपीजी सुरक्षा वापस ले सकती है. हालांकि इस बारे में मनमोहन सिंह को अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली हैं. 

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें खूफिया एजेंसियों रॉ और आईबी की तरफ से मिले इनपुट के बाद गृह मंत्रालय औऱ कैबिनेट सचिव ने तीन महीनों की समीक्षा बैठक की थी जिसकी बाद सरकार ने ये फैसला लिया. फिलहाल एसपीजी सुरक्षा में आईटीबीपी, सीआरपीएफ औऱ सीआईएसएफ के 3000 से ज्यादा सैनिक शामिल होते हैं. खबरों की मानें तो एसपीजी एक्ट 1998 के नियमों के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की खतरे की स्थिति की हर साल समीक्षा की जाती है. 

बता दें एसपीजी सुरक्षा प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री और उनक परिवार को संभावित खतरे के आधार पर दी जाती है. एसपीजी संघ की एक सशस्त्र सेना होती है जो देश के प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों सहित उनके उस समय के निकटतम परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करते हैं. सेना की इस यूनिट की स्थापना 1988 में संसद के अधिनियम 4 की धारा 1(5) के तहत की गई थी. पूर्व प्रधानमंत्री, उनका परिवार और वर्तमान प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्य चाहें तो अपनी इच्छा से एसपीजी की सुरक्षा लेने से मना भी कर सकते हैं.

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इसलिए हुआ एसपीजी का गठन?

1981 से पहले तक भारत के प्रधानमंत्री और उनके आवास के सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस उपायुक्त के नेतृत्व वाली स्पेशल सिक्योरिटी के हाथों में थी. अक्टूबर 1981 में इंटेलिजेंस ब्यूरो के कहने पर एक स्पेशल टास्क फोर्स का निर्माण किया गया. जो दिल्ली के अंदर और बाहर पीएम को सुरक्षा मुहैया करवाते थे. अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सुरक्षा गार्ड्स ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. जिसके बाद पीएम की सुरक्षा को लेकर रिव्यू किया गया.

इसके लिए सचिवों की समिति ने पीएम की सुरक्षा का रिव्यू किया. निर्णय लिया गया कि पीएम की सुरक्षा को एक स्पेशल ग्रुप को दिया जाए जिसमें एक निर्दिष्ट अधिकारी का संगठित और प्रत्यक्ष नियंत्रण हो और एसटीएफ दिल्ली और दिल्ली से बाहर पीएम को तत्काल सुरक्षा देगी. इसी वजह से एसपीजी का गठन हुआ. यह एक स्वतंत्र निर्देशक के अंतर्गत स्थापित किया गया जो दिल्ली, देश और दुनिया के हर कोने में जहां भी प्रधानमंत्री जाएं वहां उनको सुरक्षा प्रदान करेंगे.

SPG कमांडो में क्या है खास?

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात एसपीजी फोर्स के कमांडो खास मौकों पर ही सूट में दिखाई देते हैं. ये FNF-2000 असॉल्ट राइफल से लैस होते हैं, जो की एक फुली ऑटोमैटिक गन है. साथ ही, कमांडोज के पास ग्लोक 17 नाम की एक पिस्टल भी होती है. कमांडो अपनी सेफ्टी के लिए एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहनते हैं और साथी कमांडो से बात करने के लिए कान में लगे ईयरप्लग या फिर वॉकी टॉकी का सहारा लेते हैं.

  •  एसपीजी सुरक्षा के लिए एल्बो और नी गार्ड पहनते है.
  •  एसपीजी कमांडो के जूते भी इस तरह बने होते हैं कि किसी भी जमीन पर फिसले नहीं.
  •  हाथ में खास तरह के दस्ताने होते हैं, जो कमांडो को चोट लगने से बचाते हैं.
  •  एसपीजी कमांडो द्वारा पहने जाने वाला चश्मा भी इस तरह बना होता है कि लड़ाई के दौरान किसी तरह की परेशानी न हो. मुख्यता यह चश्मा कमांडो कहां देख रहा है इस बात से दुश्मन को बेखबर रखने का काम भी करता है.

इन कमांडो को भारतीय सेना और पुलिस बल से चुना जाता है. जिसके बाद इन्हें विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. पीएम की सुरक्षा में तैनात एसपीजी की खासियत यह होती है कि ड्राइवर से लेकर निजी बॉडीगर्ड तक एसपीजी के ही होते हैं. इन्हें चेहरे पर किसी भी तरह के भाव दिखाने की मनाही होती है. इनके पास एफएन हर्सटल फाइव-सेवन बंदूक और ग्लॉक 12 के विशेष तरह के दस्ताने होते हैं जो इन्हें चोट लगने से बचाते हैं

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