New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2020/07/01/rbi-61.jpg)
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( Photo Credit : फाइल फोटो)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
सरकार की इस योजना का फायदा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 के अंतर्गत रजिस्टर्ड एनबीएफसी के साथ-साथ माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस को मिलेगा.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( Photo Credit : फाइल फोटो)
केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) के जरिए एनबीएफसी और एचएफसी (NBFC, HFC) की लिक्विडिटी की स्थिति को मजबूत करने के लिए एक स्कीम को मंजूरी दे दी है. दरअसल, वित्तीय क्षेत्र में किसी भी तरह के संभावित खतरे से निपटने के लिए यह कदम सरकार ने उठाया है. सरकार की इस योजना का फायदा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 के अंतर्गत रजिस्टर्ड एनबीएफसी के साथ-साथ माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस को मिलेगा. इसके अलावा नेशनल हाउसिंग बैंक एक्ट 1987 के अंतर्गत रजिस्टर्ड हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को लाभ मिलेगा.
यह भी पढ़ें: गूगल क्रोम एक्सटेंशन इन्स्टॉल करते समय सतर्क रहे इंटरनेट उपभोक्ता, नहीं तो हो सकती है बड़ी परेशानी
6 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए नेट परफॉर्मिंग एसेट
एनबीएफसी और एचएफसी का सीआरएआर और सीएआर 31 मार्च 2019 को तय की गई क्रमश: 15 फीसदी और 12 फीसदी की निर्धारित सीमा से कम नहीं होना चाहिए. 31 मार्च 2019 तक नेट परफॉर्मिंग एसेट 6 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. पिछले लगातार दो वित्त वर्ष में से कम से कम एक में शुद्ध लाभ अर्जित किया होना चाहिए. सेबी रजिस्टर्ड एजेंसी के जरिए एनबीएफसी और एचएफसी की रेटिंग तय की जाएगी. सरकार के आदेश के अंतर्गत भारतीय स्टेट बैंक की सब्सिडियरी कंपनी एसबीआईकैप (SBICAP) ने इसके ऑपरेशन के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल का गठन किया है.
Reserve Bank of India states "conditions to be met" by Non-Banking Financial Companies (NBFCs) and Housing Finance Companies (HFCs) to avail Govt of India's special liquidity scheme. pic.twitter.com/CcNEihKUcG
— ANI (@ANI) July 1, 2020
यह भी पढ़ें: चीन के मार्केट से किनारा करने की तैयारी में जयपुर के ज्वैलर्स
पीडब्ल्यूसी इंडिया और फिक्की की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को 2,000 रुपये से कम के लेनदेन के लिए डिजिटल भुगतान पर सब्सिडी को बहाल करना चाहिए और वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) फर्मों, एनबीएफसी और म्यूचुअल फडों के लिए आधार आधारित ई-केवाईसी प्रमाणीकरण को लागू करना चाहिए. ‘रीडिफाइनिंग द फिनटेक एक्सपीरियंस: इंपैक्ट ऑफ कोविड-19’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया कि फिनटेक बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सभी तक डिजिटल वित्तीय सेवाओं को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इस रिपोर्ट में कोविड-19 संकट के दौरान फिनटेक क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए नीतियों और नियामक उपायों संबंधी सुझाव दिए गए. इनमें डिजिटल भुगतान और डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देना शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत सरकार को 2,000 रुपये से कम के लेनदेन के लिए डिजिटल भुगतान पर सब्सिडी को तत्काल बहाल करना चाहिए। रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सभी उधारदाताओं के लिए जल्द से जल्द वीडियो केवाईसी प्रक्रिया को अनिवार्य करना चाहिए.