नोटबंदी की मदद से देश के भीतर मौजूद काले धन को खत्म करने की रणनीति को लागू करने के बाद अब सरकार ने विदेश में जमा काले धन को वापस लाने की तैयारी शुरू कर दी है।
8 नवंबर को देश में 500 औऱ 1000 रुपये के नोट को बैन किए जाने के बाद विपक्ष मोदी सरकार की यह कहते हुए आलोचना कर रहा है कि असली काला धन विदेश में जमा है लेकिन सरकार इसे वापस लाने की बजाए देश के लोगों को परेशान कर रही है।
भारत ने पिछले महीनों में कम से कम 20 'प्रशासनिक सहायता' से जुड़े अनुरोध कर स्विट्जरलैंड से टैक्स बचा कर स्विस बैंकों में पैसा जमा कराने वाले भारतीयों की जानकारी मांगी है।
सरकार की सूची में करीब 3 लिस्टेड कंपनियां, रियल स्टेट का एक बड़ा नाम, दिल्ली के एक नौकरशाह की पत्नी, भारतीय मूल के दुबई में रहने वाले बैंकर और कुछ गुजराती बिजनसमैन के नाम शामिल हैं। इन संदिग्धों में से कई ने स्विस बैंकों में पनामा और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड के जरिए अपने खातों में पैसा जमा कर रखे हैं।
भारत और स्विट्जरलैंड ने पिछले हफ्ते ही एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है जिसके तहत दोनों देश सितंबर 2018 के बाद से खातों से जुड़ी जानकारी साझा कर सकेंगे। इससे पहले भी कई भारतीय खातों की जानकारी स्विट्जरलैंड सरकार ने साझा की थी जिस पर टैक्स विभाग और ईडी ने कार्रवाई की थी।
मोदी ने चुनाव के दौरान काले धन को मुद्दा बनाया था। प्रधानमंत्री बनने के साथ ही मोदी ने सबसे पहले काले धन की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया और इसके बाद देश के भीतर जमा काले धन को रोकने के लिए सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बैन कर दिया।
HIGHLIGHTS
- सरकार ने विदेश में जमा काले धन को वापस लाने की तैयारी शुरू कर दी है
- केंद्र ने स्विट्जरलैंड से स्विस बैंकों में पैसा जमा कराने वाले भारतीयों की जानकारी मांगी है
Source : News Nation Bureau