अब किराए पर लिए जा सकेंगे लड़ाकू हेलिकॉप्टर-पनडुब्बी, सरकार ने बदली रक्षा खरीद प्रक्रिया
दुश्मन देशों की बढ़ती चुनौतियों से निपटने और अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा खरीद प्रक्रिया में बदलाव किया है.
नई दिल्ली:
दुश्मन देशों की बढ़ती चुनौतियों से निपटने और अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा खरीद प्रक्रिया में बदलाव किया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई रक्षा खरीद प्रक्रिया (DAP) को जारी किया है, जिसमें तीनों सेनाओं को उनकी अभियान संबंधी जरूरतों के अनुसार हेलीकॉप्टर, सिमुलेटर और परिवहन विमानों जैसे सैन्य उपकरणों और प्लेटफॉर्म को लीज (किराए) पर लेने की अनुमति प्रदान की गई है, क्योंकि यह उनकी खरीद के बजाय सस्ता विकल्प हो सकता है.
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को नई रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीएपी) को जारी किया. इसमें भारत को सैन्य प्लेटफॉर्म का वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने, रक्षा उपकरणों की खरीद में लगने वाले समय को कम करने और तीनों सेनाओं द्वारा एक सरल प्रणाली के तहत पूंजीगत बजट के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की खरीद की अनुमति देने जैसी विशेषताएं हैं. नई नीति के तहत सरकार ने ऑफसेट दिशानिर्देश को भी बदला गया है और भारत में उत्पादों के विनिर्माण की पेशकश करने वाली बड़ी रक्षा कंपनियों को तरजीह दी गई है.
इसके अलावा डीएपी में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, अनुबंध के बाद के प्रबंधन, डीआरडीओ तथा रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों जैसे सरकारी निकायों द्वारा विकसित प्रणालियों की खरीद आदि के संबंध में नए अध्याय शामिल किए गए हैं. डीएपी में तीनों सेनाओं के लिए समयबद्ध तरीके से एक सरल प्रणाली के तहत पूंजीगत बजट के माध्यम से खरीद करने के संबंध में नये प्रावधान का प्रस्ताव है, जिसे तीनों सेनाओं द्वारा आवश्यक सामग्री की खरीद में देरी को कम करने के अहम कदम के रूप में देखा जा रहा है.
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि डीएपी में भारत के घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा करते हुए आयात प्रतिस्थापन और निर्यात दोनों के लिए विनिर्माण केंद्र स्थापित करने के लिहाज से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा देने के प्रावधान भी शामिल हैं. रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया कि डीएपी को सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल के अनुरूप तैयार किया गया है और इसमें भारत को अंतत: वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के उद्देश्य से ‘मेक इन इंडिया’ की परियोजनाओं के माध्यम से भारतीय घरेलू उद्योग को सशक्त बनाने का विचार किया गया है.
नई नीति में खरीद प्रस्तावों की मंजूरी में विलंब को कम करने के लिहाज से 500 करोड़ रुपये तक के सभी मामलों में ‘आवश्यकता की स्वीकृति’ (एओएन) को एक ही स्तर पर सहमति देने का भी प्रावधान है. डीएपी में रक्षा उपकरणों को मिल करने से पहले उनके परीक्षण में सुधार के कदमों का भी उल्लेख है.
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