Digital Data Protection Bill 2022: क्यों सरकार को जरूरी लगा बिल? उपभोक्ताओं को होंगे ये फायदे
हर डिजिटल उपभोक्ता को कंपनियां साफ और आसान भाषा में सूचना देंगी. ग्राहक किसी वक्त अपनी सहमति में बदलाव कर सकता है. अपनी सहमति को वापस ले सकता है.
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल (Digital Data Protection Bill 2022) के ड्राफ्ट को जारी कर दिया है. इसके तहत सरकार ने लोगों के निजी डेटा के उपयोग पर कंपनियों पर जुर्माने के रूप में 500 रूपये तक की राशि का प्रस्ताव रखा है. लोगों के डेटा को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ये बिल लेकर सामने आई है. इस तरह से बिना उपभोक्ता की मर्जी के डेटा का उपयोग नहीं किया जा सकेगा. हर डिजिटल उपभोक्ता को कंपनियां साफ और आसान भाषा में सूचना देंगी. ग्राहक किसी वक्त अपनी सहमति में बदलाव कर सकता है. अपनी सहमति को वापस ले सकता है.
डेटा के गलत उपयोग पर जर्माना राशि भरनी होगी. इस तरह से जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. इससे पहले भी सरकार संसद में पर्सनल डेटा के प्रोटेक्शन पर बिल लेकर सामने आई थी. सरकार की ओर से 11 दिसंबर 2019 को बिल को सामने रखा गया था. संसदीय समिति के पास इसे भेजा गया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसे 2021 में लोकसभा में पेश किया गया था. विपक्ष की आपत्तियों के बावजूद सरकार इसे लोकसभा में वापस लेकर आई. इस दौरान कहा गया था कि कानूनी विचार विमर्श के बाद इसे पेश किया जाएगा. सरकार के अनुसार, इस दौरान 81 संशोधन प्रस्तावित थे और 12 सिफारिशें पेश की गईं.
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सरकार ड्राफ्ट तो जारी कर दिया है. अब वह सभी पक्षों से राय भी लेगी. इस ड्राफ्ट को संसद के अगले सत्र में रखा जाएगा. सरकार का उद्देश्य है कि इस तरह से लोगों के निजी डेटा की सुरक्षा होगी. इसके साथ देश के बाहर डेटा के ट्रांस्फर पर नजर रखना होगा. वहीं डेटा से जुड़े उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान तय करना है.
ड्राफ्ट में क्या कहा गया है
इस ड्राफ्ट के अनुसार, बायोमेट्रिक डेटा को लेकर भी कर्मचारियों की अनुमति जरूरी होगी. बिजनेस और लीगल उद्देश्यों को लेकर जरूरी नहीं है कि यूजर्स के डेटा को अपने पास नहीं रखना चाहिए. इस बिल के तहत बायोमेट्रिक डेटा के मालिक को इसका पूरा अधिकार होगा. किसी कर्मचारियों को अपनी उपस्थिति को लगाना है तो किसी कर्मी के बायोमेट्रिक डेटा की जरूरत होगी. इसके लिए स्पष्ट रूप से कर्मचारी सहमति की जरूरत होगी.
KYC डेटा में डालेगा अड़ंगा
नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल KYC डेटा में अड़ंगा डालेगा. सेविंग अकाउंट के लिए इस डेटा के उपयोग की आवश्यकता होगी. इस प्रक्रिया के तहत एकत्र किया गया डेटा बिल के दायरे में आ जाता है. बैंक को अकाउंट बंद करने के बावजूद छह माह से ज्यादा समय तक के लिए KYC डेटा को बनाए रखना होगा.
बच्चों के पर्सनल डेटा को एकत्र करने और बनाए रखने को लेकर भी नए नियम बनाए गए हैं. डेटा के लिए अभिभावकों की सहमति लेना जरूरी है. सोशल मीडिया कंपनियों को यह तय करना होगा कि किसी तरह के लक्षित विज्ञापन के लिए बच्चों के डेटा को ट्रैक नहीं किया जा रहा है.
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