New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2020/10/28/farmer-protest-ians-48.jpg)
सरकार के पास ये हैं 3 विकल्प जिनसे हल हो सकती है किसानों की समस्या( Photo Credit : फाइल फोटो)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
Farmer Protest: आज किसानों के प्रदर्शन का आठवां दिन है. किसान सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
सरकार के पास ये हैं 3 विकल्प जिनसे हल हो सकती है किसानों की समस्या( Photo Credit : फाइल फोटो)
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए 3 कृषि कानूनों (Farm Laws) का विरोध कर रहे किसान (Farmers Protest) दिल्ली कूच करने के लिए राजधानी की सभी सीमाओं पर डटे हुए हैं. किसानों को प्रदर्शन करते सप्ताह भर हो चुका है. किसानों का साफ कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.
गुरुवार को उनके प्रदर्शन का आठवां दिन है. ये सभी किसान सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं. किसानों की समस्याओं को लेकर आज फिर सरकार के साथ किसान संगठनों की वार्ता होनी है तो वहीं गृहमंत्री अमित शाह के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी मुलाकात करेंगे. सरकार के पास भी कुछ विकल्प हैं जो कृषि कानूनों से संबंधित किसानों की समस्याओं को हल कर सकते हैं.
यह भी पढ़ेंः किसान आंदोलन में कबड्डी खिलाड़ी, पहलवान और गायक भी शामिल हुए
न्यूनतम मूल्य
किसानों की मांग है कि सरकार सभी प्रमुख कृषि उत्पादन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की गारंटी देने वाले कानून को लेकर आए. इस कानून का उद्देश्य किसी भी कृषि उत्पाद की बिक्री को उसकी एमएसपी सीमा से नीचे होने पर उसे गैरकानूनी बनाना है. सरकार के सामने इस कानून को लेकर कुछ आर्थिक रुकावटें हैं. किसान एक तरह से उत्पादन के मूल्य की गारंटी चाहते हैं. वहीं, सरकार उसके बेहतर मूल्य के लिए सुधारों पर ध्यान दे रही है.
दूसरी तरफ विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को रिटर्न को आश्वस्त करने के कई तरीके हैं. इनमें एक है प्राइस डेफिसिएंसी मेकेनिज्म. विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार इस प्रणाली को किसानों के साथ वार्ता में एक विकल्प के तौर पर रख सकती है. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट में स्वतंत्र सलाहकार रोहिणी माली ने कहा कि मध्य प्रदेश में इस प्रणाली को चलाने की कोशिश की गई. इसमें थोड़े सुधार की जरूरत है. लेकिन जब बाजार में गिरावट होती है तो यह भरपाई करने का बेहतर तरीका हो सकता है. इस प्रणाली के तहत सरकार किसानों को बाजार मूल्य और एमएसपी के बीच हुए पैसे के अंतर का भुगतान करती है.
यह भी पढ़ेंः जानिए, एमएसपी अनिवार्य करने से पैदा होने वाली मुश्किलें
पराली जलाना
केंद्र सरकार की ओर से अक्टूबर में दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग स्थापित करने के लिए एक अध्यादेश लाई थी. इस नए कानून का मकसद दिल्ली में रोजाना हो रहे वायु प्रदूषण में कटौती करना है. दरअसल वायु प्रदूषण में एक बड़ा योगदान पराली जलाने का भी है. इस अध्यादेश ने किसानों को कुछ लिहाज से नाराज कर दिया है क्योंकि इसके अंतर्गत पराली जलाने पर 1 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी के किरण कुमार विस्सा का कहना है कि यह अध्यादेश किसानों की आशंकाओं को और अधिक पुख्ता करता है कि केंद्र सरकार समस्या के समाधान पक्के समाधान की अपेक्षा बलपूर्वक वाले तरीके अपना रही है.
किसान सरकार से पराली या पुआल को वैकल्पिक डिस्पोजल बनाने के लिए प्रति क्विंटल 200 रुपये की मांग कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि सरकार किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य देने पर विचार करे. धान उत्पादन क्षेत्र तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है. यह देखते हुए सरकार एक केंद्रीय सब्सिडी योजना ला सकती है.
यह भी पढ़ेंः किसान आंदोलन को कनाडा के बाद ब्रिटिश सिख नेताओं का समर्थन
बाजार
सरकार को नया कानून लेकर आई है. उसमें प्रस्तावित फ्री मार्केट या मुक्त बाजार में व्यापारियों को कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है. किसानों को चिंता है कि राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित नोटिफाइड मार्केट से प्रतिस्पर्धा के तहत फ्री मार्केट खोलने के कदम से पारंपरिक बाजारों खत्म हो सकते हैं. पारंपरिक बाजार राज्य के राजस्व का एक बड़ा स्रोत होते हैं. दरअसल पंजाब में वो गेहूं खरीद पर 6% शुल्क के रूप में लेते हैं. इसमें 3% बाजार शुल्क और 3% ग्रामीण विकास शुल्क होता है. गैर-बासमती धान पर 6% शुल्क भी था जबकि बासमती धान के लिए 4.25% शुल्क लिया गया था. सितंबर 2020 में केंद्र के नए कानून लागू होने के बाद पंजाब को बासमती चावल पर बाजार शुल्क और ग्रामीण विकास शुल्क को 2% से घटाकर 1% करने के लिए मजबूर किया गया था.
Source : News Nation Bureau