Coronavirus (Covid-19): केंद्र और राज्यों के सरकारी कर्मचारी महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) में बढ़ोतरी को फ्रीज करने और अन्य भत्तों में कटौती के विरोध में एकजुट होने जा रहे हैं. कर्मचारियों ने इसके विरोध के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है. इसके लिए आगामी 1 मई को दोपहर 12 बजे देशभर के सभी सरकारी कर्मचारियों द्वारा अपने घरों में मोमबत्ती जलाकर केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के फैसले का विरोध किया जाएगा. कर्मचारियों की ओर से प्रधानमंत्री को ईमेल के जरिए ज्ञापन भेजकर सरकार से फैसले पर पुनर्विचार के लिए अनुरोध किया जाएगा.
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देशभर के सरकारी कर्मचारी करेंगे विरोध
इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (Indian Public Service Employees Federation-IPSEF) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्रा और महामंत्री प्रेम चंद्र के मुताबिक इप्सेफ के पदाधिकारियों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए यह निर्णय लिया गया है. विरोध प्रदर्शन में इप्सेफ से जुड़े केंद्र और राज्यों के कर्मचारी संगठन हिस्ला लेने जा रहे हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा. वी पी मिश्रा का कहना है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के द्वारा महंगाई भत्ते और अन्य भत्ते में कटौती की वजह से करोड़ों कर्मचारी गुस्से में हैं.
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उन्होंने कहा कि देश में सरकारी डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मचारी, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी कोरोना वायरस महामारी को दूर करने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं. कर्मचारियों के परिवार वाले भी संक्रमित हो रहे हैं. इन कर्मचारियों ने स्वैच्छिक रूप से एक दिन का वेतन भी दान किया है. ऐसे में सरकार के इस फैसले से कर्मचारी काफी आक्रोशित हैं.
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इप्सेफ के राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी को फ्रीज करने के फैसले के बाद राज्य सरकारों ने भी अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी को रोक दिया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने आगे बढ़ते हुए 6 भत्ते और फ्रीज कर दिए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्थान सरकार ने कर्मचारियों के वेतन में 30 फीसदी तक की कटौती का निर्णय लेने की बात सामने आ रही है. संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकारों की नीतियों की वजह से कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है और इसके अलावा उनमें आक्रोश भी बढ़ रहा है.