पूरी दुनिया में कोरोनावायरस (Corona Virus) ने तहलका मचा रखा है. चीन के वुहान शहर से निकल कर दुनिया भर में तबाही मचाने वाले कोविड -19 (COVID-19) की काट अभी तक किसी भी देश के पास नहीं है. महामारी के इस वायरस ने अमेरिका, ब्रिटेन और इटली जैसे देशों को भी नेस्तोनाबूद कर दिया जिसकी वजह से ये देश आज तबाही के कगार पर जा पहुंचे हैं. वहीं भारत ने इस महामारी को कड़ी टक्कर देते हुए अभी तक मोर्चा संभाल रखा है. इस बीच चंडीगढ़ के पीजीआई से एक बहुत अच्छी खबर आई है. चंडीगढ़ पीजीआई को कोरोना वायरस को रोकने के लिए वैक्सीन बनाने में के दौरान सेफ्टी ट्रायल सफलता हाथ लगी है.
भारत में कुष्ठ रोग के इलाज में दी जाने वाली दवा एम.डब्ल्यू का पी.जी.आई. ने ऐसे मरीजों पर टेस्ट करके असर देखा, तो पाया कि जिन्हें ट्रीटमेंट के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत थी ऐसे 4 मरीजों को एम.डब्ल्यू. वैक्सीन की 0.3 एम.एल. दवा का इंजेक्शन लगातर 3 दिनों तक दिया गया और पया कि इन मरीजों पर इस वैक्सीन का इस्तेमाल बिलकुल सक्षित है. चंडीगढ़ PGI के डॉक्टरों ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि इस दवा का इस्तेमाल पहले कुष्ठ, निमोनिया और तपेदिक से पीड़ित मरीजों को दी जाती थी, उन मरीजों पर यह दवा सफल पाई गई थी. अब जब इस वैक्सीन को कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों को दी गई तो यहां भी डॉक्टरों को सफलता हाथ लगी है.
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चंडीगढ़ PGI के अलावा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों पर इस दवा का ट्रायल ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडीकल साइंस (एम्स) दिल्ली और भोपाल में भी किया जा रहा है. पी.जी.आई. के डायरेक्टर प्रो. जगतराम ने मीडिया से बातचीत में बताया कि, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों पर दवा के ट्रायल के लिए डाक्टरों की टीम काम शुरू कर चुकी है और इस टीम ने कोरोना वायरस से संक्रमित 4 मरीजों पर इसका ट्रायल भी किया है जिसके बेहतरीन नतीजे सामने आए हैं. जल्दी ही इसके इस्तेमाल के और भी बेहतर नतीजे आने शुरू हो जाएंगे.
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शुरुआती सफलता के बाद अब इस वैक्सीन को डेवलेप करने के लिए आगे के ट्रायल में देखा जाएगा की दवा के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को इलाज के दौरान कितनी ऑक्सीजन और कितने दिनों के लिए वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है एक मरीज को दवा दी जाएगी, जबकि दूसरे मरीज का दवा के बगैर दूसरे तरीके से इलाज का असर देखा जाएगा. इस दौरान ये नजर रखी जाएगी कि कौन सा मरीज ज्यादा तेजी से रिक्यूब करता है. उसी के मुताबिक इस वैक्सीन में आगे के लिए और भी सुधार किए जाएंगे.