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जिन्होंने 48 सालों तक परेड से लेकर मैच का आंखों देखा हाल सुनाया, खामोश हुई वो स्वर्णिम आवाज़

लोकप्रिय भारतीय खेल कमेंटेटर जसदेव सिंह ने विश्व भर में अपनी आवाज़ का लोहा मनवाया था.

Updated on: 26 Sep 2018, 02:49 PM

नई दिल्ली:

भारतीय खेल की सुनहरी आवाज़ जसदेव सिंह का लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया. लोकप्रिय भारतीय खेल कमेंटेटर जसदेव सिंह ने विश्व भर में अपनी आवाज़ का लोहा मनवाया था. पदमश्री और पद्मभूषण से सम्मानित जसदेव सिंह ने 87 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. उनके परिवार में उनकी पत्नी, बेटा और एक बेटी हैं। जसदेव स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर 1963 से सरकार द्वारा संचालित मीडिया दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो के लिए कमेंट्री करते आ रहे थे. जसदेव सिंह ने 1955 में जयपुर में आल इंडिया रेडियो में काम करना शुरू किया और आठ साल बाद राजधानी दिल्ली में आ गए. खेल और कमेंट्री की दुनिया में जाना-पहचाना नाम जसदेव सिंह ने करीब 35 साल तक दूरदर्शन के लिए काम किया. साल 1985 में उन्हें पदमश्री और 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.

जसदेव का करियर काफी सुनहरा और प्रेरणादायी रहा. उन्होंने 9 ओलम्पिक खेल, आठ हॉकी विश्व कप और छह एशियाई खेलों में कमेंट्री की. उन्हें इसके लिए ओलम्पिक खेलों के सबसे उच्च पुरस्कार ओलम्पिक ऑडर से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार उन्हें आईओसी के पूर्व अध्यक्ष जुआन एंटोनियो ने दिया.

बीबीसी को दिए इंटरव्यू में जसदेव सिंह ने बताया था कि 1948 में जब गांधी जी की हत्या हुई थी तब उन्होंने अंतिम यात्रा का आंखों देखा विवरण रेडियो पर अंग्रेजी भाषा में सुना था. कमेंटेटर कि भावनाओं और शब्दों ने उनके अंदर कमेंट्री का जूनून पैदा किया था. दिलचस्प बात ये है कि जसदेव सिंह ने उर्दू में पढ़ाई-लिखाई की थी. हिंदी में पकड़ न होने के बावजूद उन्होंने अपनी स्वर्णिम आवाज़ में खेल से लेकर परेड तक में जान भरी.

जसदेव सिंह को हॉकी से खासा लगाव था. इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि उन्हें हॉकी सस्बे ज्यादा पसंद है. उन्होंने कहा था कि हॉकी तेज़ रफ़्तार का खेल है और किसी भी खेल के बारे में अच्छी जानकारी होने जरूरी है. लोगों ने उन्हें हॉकी में बेहद पसंद किया. स्वर्णिम आवाज़ के धनि जसदेव सिंह हॉकी, एथलेटिक्स और क्रिकेट की कमेंटरी करना पसंद है.