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गोवा महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जारी की लिंग भेद पर रिपोर्ट

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बुधवार को लिंग भेद्यता सूचकांक (जेंडर वल्नरेबिलिटी इंडेक्स यानी जीवीआई) को जारी किया है। जिसमें महिलाओं की स्थिति के बारे बताया गया है।

Updated on: 02 Nov 2017, 11:53 AM

नई दिल्ली:

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बुधवार को लिंग भेद्यता सूचकांक (जेंडर वल्नरेबिलिटी इंडेक्स यानी जीवीआई) को जारी किया है। जिसमें महिलाओं की स्थिति के बारे बताया गया है। जीवीआई की इस रिपोर्ट को 'प्लान इंडिया' ने बनाया है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक़ महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा सुरक्षित जगह गोवा है। इसके बाद केरल, मिजोरम, सिक्किम और मणिपुर महिलाओं की सुरक्षा में अव्वल है। वहीं, असुरक्षित राज्यों में बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और देश की राजधानी दिल्ली हैं। 

पहले जेंडर वलनर्बिलटी इंडेक्स (जीवीआई) के जरिये चार मापदंडों- शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी और हिंसा के खिलाफ सुरक्षा- पर महिलाओं को पेश आने वालीं चुनौतियों को समझने और इनसे निपटने के लिए जरूरी नीतियां बनाने में मदद मिलने की संभावना है।

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इंडेक्स में जहां राष्ट्रीय औसत 0.5314 रहा तो वहीं इस इंडेक्स के साथ गोवा 0.656 अंकों के साथ सबसे ऊपर रहा।

इंडेक्स में 0 से 1 बीच अंक दिए गए। अंक 1 के जितना करीब होंगे वे उतने ही बेहतर माने जाएंगे। गोवा सुरक्षा में सबसे आगे रहा, शिक्षा में पांचवें, स्वास्थ्य में पांचवें और गरीबी में 8वें स्थान पर रहा।

केरल के अंक 0.634 रहे। इसमें बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का बड़ा योगदान है।

इस इंडेक्स में सबसे नीचे बिहार रहा। इसका जीवीआई 0.410 रहा। इसे महिलाओं और लड़कियों के लिए बहुत बुरा माना गया। स्वास्थ्य और गरीबी के लिहाज से भी यह सबसे नीचे रहा।

शिक्षा के क्षेत्र में भी यह सबसे निचले राज्यों में रहा। राज्य में 39 फीसदी लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम आयु में हो जाती है। सर्वे के दौरान 15-19 वर्ष के आयुवर्ग की 12.2 महिलाएं या तो मां बन चुकीं थीं या फिर गर्भवती थीं।

दिल्ली का नंबर 30 में से 28वां रहा। इसका जीवीआई स्कोर 0.436 था। महिला सुरक्षा और शिक्षा में इसका रिकॉर्ड अत्यंत खराब रहा।

झारखण्ड 27वें (0.450) नंबर पर, उत्तर प्रदेश 29वें (0.434) नंबर पर रहा। स्टडी का डाटासेट 170 संकेतों पर आधारित है इसमें 2011 की जनगणना भी शामिल है।

भारत में करीब 29 फीसदी बच्चों की उम्र 0-5 वर्ष के बीच है। इसके बावजूद चाइल्ड सेक्स रेशो (0-6 वर्ष) 919 है वहीं जन्म के समय यह 900 है।

प्लान इंडिया की ऐग्जिक्यूटिव डायरेक्टर, भाग्यश्री डेंगले ने कहा, 'हालांकि 18 वर्ष से कम आयु की आबादी में लड़कियों की आबादी लगभग आधी है लेकिन भारत में लड़कियों को अलग-अलग स्तर पर कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।'

इस इंडेक्स में एक बात साफ है कि एक क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि का असर दूसरे क्षेत्रों में भी नजर आता है। इसके हालांकि कुछ अपवाद भी हैं। उदाहरण के लिए सिक्किम (4) और पंजाब (8) ने आर्थिक पहलू को छोड़कर सभी क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया।

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