यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के अनुसार, इस साल जून का महीना अब तक के इतिहास में सबसे गर्म रहा। इस वर्ष जून 2019 का रिकॉर्ड बड़े अंतर से टूट गया।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने सर्विस के हवाले से कहा कि जून में तापमान 1991 और 2020 के बीच इसी महीने के औसत से 0.5 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
इटली में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के जलवायु और ऊर्जा अनुभाग की प्रमुख मारियाग्राज़िया मिडुल्ला ने कहा, जलवायु घटनाएं जिन्हें असाधारण के रूप में देखा जाता था, वे अब नियमित रूप से हो रही हैं।
मिदुल्ला ने शिन्हुआ को बताया, यह प्रवृत्ति भयावह है और संकेत हैं कि यह जारी रहेगा।
उन्हें कहा कि गर्मी, सूखा और बाढ़ का सामना होने की उम्मीद है और समुद्र का स्तर धीरे-धीरे बढ़ेगा, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था और समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
ग्रीनहाउस गैसों में क्रमिक वृद्धि से परे कई कारकों के संगम के कारण इस साल उच्च तापमान है, जिसमें अल नीनो मौसम पैटर्न का उद्भव भी शामिल है।
ग्रांथम इंस्टीट्यूट में जलवायु विज्ञान के प्रोफेसर जोएरी रोगेलज ने कहा, अगले कई महीनों में अल नीनो के जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बढ़ाने के साथ हम वैश्विक तापमान के और अधिक रिकॉर्ड देखने की उम्मीद कर सकते हैं।
लेकिन अल नीनो के बिना भी तापमान का रुझान बेहद चिंताजनक होगा।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS