राज्य सभा चुनाव से ऐन पहले पवार से मिले आजाद, सियासत तेज
दोनों की यह मुलाकात राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले हुई है. आजाद का बीते साल ही राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हुआ है. उनके सम्मान में पीएम नरेंद्र मोदी ने बेहद भावुक भाषण दिया था.
highlights
- फिलहाल संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं आजाद
- जी-23 समूह का होने से रास भेजे जाने की उम्मीदें कम
- एनसीपी से नजदीकियों के चलते रास दावेदारी मजबूत
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र (Maharsahtra) में राजनीति तेजी से करवट ले रही है. विगत दिनों सूबे की महा विकास अघाड़ी सरकार में हिस्सेदार कांग्रेस के 35 विधायकों ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पत्र लिखकर उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल में शामिल कांग्रेसी मंत्रियों की अनदेखी की शिकायत कर मिलने के लिए समय मांगा है. साथ ही कहा कि राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अजित पवार एनसीपी के विधायकों की बात सुनकर अपने-अपने क्षेत्रों में बढ़त बना रहे हैं. जाहिर है इससे महा विकास अघाड़ी सरकार में तनाव पैदा हो रहा है. इस बीच कांग्रेस के जी-23 समूह के प्रखर नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) की एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) से मुलाकात ने कांग्रेस के भीतर कयासों का बाजार गर्म कर दिया है. गौरतलब है कि आजाद और पवार की मुलाकात राज्य सभा चुनाव से ऐन पहले हुई है.
कांग्रेस से राज्यसभा भेजे जाने की उम्मीद कम
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार से गुरुवार देर रात मुलाकात ने सियासी पारा बढ़ा दिया है. गौरतलब है कि दोनों की यह मुलाकात राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले हुई है. आजाद का बीते साल ही राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हुआ है. उनके सम्मान में पीएम नरेंद्र मोदी ने बेहद भावुक भाषण दिया था. फिलहाल वह दोनों में से किसी सदन के सदस्य नहीं हैं. गौरतलब है कि आजाद ने कांग्रेस की लगातार हार पर कांग्रेस में बदलाव की आवाज मुखर की थी. ऐसे में इस बात की संभावना कम है कि कांग्रेस उन्हें राज्यसभा में फिर से भेजे.
आजाद ने मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया
हालांकि आजाद ने पवार से मुलाकात के पीछे खास मकसद से इंकार किया है. उनका कहना है कि वह शरद पवार से मिलते रहते हैं. उन्होंने यह कहने से भी गुरेज नहीं किया कि वह अक्सर अपने राजनीतिक सहयोगियों से मिलते-रहते हैं. उन्होंने कहा कि शरद पवार और उन्होंने 40 से अधिक वर्षों तक साथ-साथ काम किया है. वैसे भी कांग्रेस और राकांपा चचेरे भाई सरीखे हैं. शरद पवार से मुलाकात के कोई निहितार्थ नहीं निकाले जाएं. इसे महज शिष्टाचार भेंट ही माना जाए.
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