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जर्मनी ने चेन्नई-मैसूर बुलेट ट्रेन पर रिपोर्ट रेलवे को सौंपा, 5 घंटे तक कम हो सकता है समय

चेन्नई, बैंगलुरू, मैसूर हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की रिपोर्ट जर्मनी ने भारत को सौंप दी है. इस रेल कॉरिडोर की लागत 1 लाख करोड़ (16 अरब डॉलर) रुपये होगी.

Updated on: 22 Nov 2018, 06:41 PM

नई दिल्ली:

चेन्नई, बैंगलुरू, मैसूर हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की रिपोर्ट जर्मनी ने भारत को सौंप दी है. इस रेल कॉरिडोर की लागत 1 लाख करोड़ (16 अरब डॉलर) रुपये होगी. अगर रेलवे बोर्ड इस रिपोर्ट पर राजी होता है तो प्रस्तावित मुम्बई-अहमदाबाद के बाद यह देश में दूसरा हाई स्पीड रेल कॉरिडोर होगा. साथ ही 2030 तक चेन्नई और मैसूर के बीच लगने वाले समय में 5 घंटे से अधिक की कटौती होगी.

जर्मनी के उच्चाधिकारी मार्टिन ने ने 435 किलोमीटर लंबे हाईस्पीड रेल (बुलेट ट्रेन) का अंतिम व्यवहार्यता रिपोर्ट रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी को सौंपा.

इस रिपोर्ट के बारे में जर्मनी के उच्चाधिकारी ने कहा, 'शोध का मुख्य नतीजा यह रहा है कि इस मार्ग पर हाई स्पीड रेल चलाना न सिर्फ व्यवहार्य है, बल्कि प्रबंधनीय भी है. यह रिपोर्ट 18 महीनों में पूरी की गई है और इसका पूरी तरह से जर्मनी की सरकार ने वित्तपोषण किया है. यह रिपोर्ट करने योग्य है, लेकिन आगे का कदम उठाने से पहले इसका अध्ययन किया जाएगा.

इस कॉरिडोर को लेकर जर्मनी के रेल विशेषज्ञों ने जो अहम बातें कही हैं उसमें मौजूदा रेल रूट पर ही एलिवेटर बनाया जा सकता है जिससे जमीन अधिग्रहण की चुनौती नहीं रहेगी. रेलवे की एक लाइन से पैसेंजर दूसरे लाइन पर जरूरत के मुताबिक आसानी से यात्रा में बदलाव कर सकते हैं.

इस कॉरिडोर के निर्माण से 1 लाख लोगों को नौकरियां मिलेंगी और इस कॉरेडोर के बन जाने से यह इलाका भारत मे दुनिया का तीसरा आर्थिक हब बन सकता है.

हालांकि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के मुताबिक, भारत में एक लाइन के ऊपर दूसरा कॉरिडोर बनाना संभव नहीं है क्योंकि मौजूदा लाइन और प्लेटफार्म की क्षमता बेहद कम है. भारत जर्मनी के इस रिपोर्ट का अब अध्ययन करेगा.

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रेल अधिकारी ने कहा कि 435 किलोमीटर का 84 फीसदी ट्रैक एलीवेटेड ही होगा और 11 फीसदी सुरंग में होगा. उन्होंने कहा, 'बुलेट ट्रेन चेन्नई से मैसूर की 435 किलोमीटर लंबी दूरी दो घंटा 25 मिनट में तय करेगी, जबकि अधिकतम रफ्तार 320 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी.'