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सवर्ण आरक्षण: गरीब सवर्ण होने के बाद भी मुश्‍किल होगा आरक्षण का लाभ लेना, ये हैं कारण

सामान्‍य वर्ग के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए आज राज्‍यसभा में बिल पेश किया जाएगा.

Updated on: 09 Jan 2019, 09:15 AM

नई दिल्‍ली:

सामान्‍य वर्ग के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए आज राज्‍यसभा में बिल पेश किया जाएगा. अभी संविधान में जाति और सामाजिक रूप से पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान है. संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 15 और 16 में आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान जोड़ा जाएगा. अभी एससी को 15%, एसटी को 7.5% और ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जा रहा है.

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सरकार संविधान के अनुच्छेद 15 में संशोधन करना चाहती है, जिसके जरिए राज्यों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की तरक्की के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार मिलेगा. लेकिन आरक्षण के लिए 5 प्रमुख मापदंड जो तय किए गए हैं उसके आधार पर गरीब सवर्णों को इसका लाभ मिलने में दिक्‍कत आएगी. आइए पहले जान लें कि वो पांच प्रावधान क्‍या हैं.

1. परिवार की सालाना आमदनी 8 लाख रु. से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
2. परिवार के पास 5 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए.
3. आवेदक के पास 1,000 वर्ग फीट से बड़ा फ्लैट नहीं होना चाहिए.
4. म्यूनिसिपलिटी एरिया में 100 गज से बड़ा घर नहीं होना चाहिए.
5. नॉन नोटिफाइड म्यूनिसिपलिटी में 200 गज से बड़ा घर न हो.

यहां होगी मुश्‍किल

यूपी-बिहार में बहुत से ऐसे गरीब सवर्ण हैं जिनके पास जमीनें तो 5 एकड़ से ज्‍यादा हैं लेकिन बंजर होने के कारण वो किसी काम की नहीं. सवर्ण जातियों में ग़रीबों के लिए दिया जा रहा 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ फिलहाल अनारक्षित वर्ग के तीन चौथाई हिस्से से ज्यादा को मिलने का संभावना है. राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण संस्थान के आंकड़ों के मुताबिक India में 95% परिवारों की सालाना आय आठ लाख रुपये से कम है. एक हजार वर्गफुट से कम जमीन पर मकान वालों की संख्या 90% है. इसी तरह कृषि जनगणना के अनुसार 87 प्रतिशत किसान के पास कृषि योग्य भूमि का रक़बा पांच एकड़ से कम है.

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यानी सरकार द्वारा घोषित ग़रीब की परिभाषा के मुताबिक देश की 90 फीसदी आबादी आर्थिक आधार पर आरक्षण के लाभार्थियों की श्रेणी में आती है. इसमें पिछडे़ और दलित भी शामिल हैं जिनके लिए अलग से 50 प्रतिशत का आरक्षण है. यानी देश की आबादी में 40 फीसदी सवर्ण ग़रीब हैं.

VIDEO: आरक्षण संशोधित बिल लोकसभा में पास, पक्ष में पड़े 323 वोट

संविधान (124वां संशोधन) बिल 2019 में क्या है

अभी संविधान में जाति और सामाजिक रूप से पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान है. संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 15 और 16 में आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान जोड़ा जाएगा. अभी एससी को 15%, एसटी को 7.5% और ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जा रहा है. सरकार संविधान के अनुच्छेद 15 में संशोधन करना चाहती है, जिसके जरिए राज्यों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की तरक्की के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार मिलेगा.

विशेष प्रावधान उच्च शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से जुड़े हैं. इनमें निजी संस्थान भी शामिल हैं. फिर भले ही वे राज्यों द्वारा अनुदान प्राप्त या गैर अनुदान प्राप्त हों. अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को इसमें शामिल नहीं किया गया है. नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने के लिए लोकसभा में मंगलवार को संशोधन विधेयक पास हो गया. इसके पक्ष में 323 और विरोध में 3 वोट पड़े. केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने 124वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया था.
बिल साफ करता है कि आरक्षण मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगा.