दिल्ली में बहुत से पीड़ित फरियादी न्यायिक जागरूकता न्यायिक साक्षरता के अभाव में इधर से उधर भटकते रहते हैं। पीड़ितों को सही गाइड करने वाला भी आसानी कोई नहीं मिल पाता। लोगों में न्यायिक जागरूकता और न्यायिक साक्षरता बढ़ाने के लिए दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण पैरा लीगल वालंटियर स्कीम शुरू करने जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी ने नई पैरा लीगल वालंटियर की स्कीम तैयार की है जो कि दिल्ली के सभी 281 थानों में बहुत जल्द लागू की जाएगी। डीएसएलएसए के सदस्य सचिव मुकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि जल्दी दिल्ली के लोगों को हर थाने में एक पीएलवी डेस्क देखने को मिलेगी।
आपको बता दें कि मुकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2013 में बचपन बचाओ याचिका की सुनवाई करते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने थानों में पैरा लीगल वालंटियर तैनात करने की बात कही थी जिसके संबंध में वर्ष 2016 में एक स्कीम दिल्ली सरकार द्वारा स्वीकृत की गई थी। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी चल रहे एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को पैरा लीगल वालंटियर तैनात करने के दिशा निर्देश दिए थे, जिसके आधार पर 2022 में पैरा लीगल वालंटियर सर्विस शुरू की गई जो कि दिल्ली के 50 पुलिस स्टेशन में शुरू की गई थी।
इन पैरा लीगल वालंटियर का काम मिसिंग बच्चों के परिजनों की मदद करना और उन्हें मुआवजे आदि संबंधी जानकारियां देना और उनकी शिकायत दर्ज करवाने में मदद करने का था।
इसको लेकर सकारात्मक परिणाम को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 19 सितंबर 2022 को एक दिशा निर्देश जारी किया जिसमें दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा लागू की गई पैरा लीगल वालंटियर सर्विस की सराहना की गई, साथ इस सर्विस को पूरे देश में लागू करने का निर्देश दिया।
इस दिशा निर्देश पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को 27 जनवरी की एक आदेश में एक योजना बनाकर पेश करने का निर्देश दिया जिस पर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने नई पैरा लीगल वालंटियर योजना को तैयार किया है।
दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के सदस्य सचिव मुकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि डीएसएलएसए एक पूल बना कर पैरा लीगल वालंटियर की तैनाती करेगी। इसलिए वालंटियर में कानून के छात्र, समाजसेवी रिटायर्ड शिक्षक, निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले छात्र, गांव के लोग जिनको कानून की जानकारी है, वह पैरा लीगल वालंटियर बन सकते हैं।
उन्होंने जानकारी दी कि पैरा लीगल वालंटियर 8 घंटे की 3 शिफ्ट में रखा जाता है। इस दौरान दिन की शिफ्ट में 750 रुपए प्रति शिफ्ट और रात की शिफ्ट में 1000 रुपए प्रति शिफ्ट दिया जाता है।
मुकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि पहले इस सेवा को केवल मिसिंग बच्चों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नए दिशा निर्देश के अनुसार अब बाल अपराध से जुड़े प्रत्येक मामले में पैरा लीगल वालंटियर मदद करेंगे वहीं अन्य किसी व्यक्ति को भी यदि कानूनी मदद की आवश्यकता होगी तो पैरा लीगल वालंटियर उनकी मदद करेंगे। हालांकि अन्य अपराधों की मदद करना उनकी सेवाओं में शामिल नहीं है।
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Source : IANS