उत्तर प्रदेश के कानपुर में मानसिक रूप से विक्षिप्त नाबालिग लड़की के शारीरिक शोषण के आरोपित रेहान की जमानत याचिका विशेष पॉक्सो अदालत ने खारिज कर दी।
न्यायाधीश राजवीर सिंह ने पाया कि पीड़िता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज अपने बयान में स्वीकार किया कि आरोपी ने उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाये थे, लेकिन चूंकि वह 18 वर्ष से कम उम्र की थी, भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के प्रावधानों के अनुसार उसकी सहमति का कोई मतलब नहीं था, इसलिए आरोपी द्वारा किया गया अपराध जघन्य था।
इसलिए, मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किए बिना, अदालत की राय थी कि जमानत के लिए पर्याप्त आधार नहीं थे, इसलिए जमानत की अर्जी खारिज किए जाने योग्य थी।
एडीजीसी सुशील कुमार वर्मा ने कहा कि पीड़िता के पिता ने अपनी शिकायत में कहा है कि आरोपी रेहान ने उसकी 16 वर्षीय बेटी के साथ दो से तीन बार शारीरिक संबंध बनाए जिसके बाद वह गर्भवती हो गई।
उसने उसे धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया और जब लड़की के परिवार के सदस्यों ने विरोध किया, तो रेहान ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी और उसके बेटे को भी पीटा।
शिकायतकर्ता ने उसे इसलिए फंसाया था, ताकि वह कर्ज की रकम का गलत इस्तेमाल कर सके। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि चूंकि आरोपी 13 मई से जेल में है और निर्दोष है, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।
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Source : IANS