दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल को जमानत देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को कहा कि किसी व्यक्ति का आहत होना पूरे समूह या समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता।
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद रतन लाल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया था। इस विवादित पोस्ट के बाद रतन लाल को गिरफ्तार किया गया था।
इसके बाद, दिल्ली के एक वकील विनीत जिंदल ने उत्तेजित करने और भड़काऊ बयान को लेकर दिल्ली पुलिस से शिकायत की थी।
दिल्ली पुलिस द्वारा शुक्रवार रात गिरफ्तार किए गए प्रोफेसर की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, भारत 130 करोड़ से अधिक लोगों का देश है और किसी भी विषय पर 130 करोड़ अलग-अलग विचार और धारणाएं हो सकती हैं।
अदालत ने कहा, यह सच है कि आरोपी ने एक ऐसा कार्य किया, जो आरोपी और जनता के आसपास के लोगों की संवेदनाओं को देखते हुए टाला जा सकता था। हालांकि, पोस्ट निंदनीय होने के बावजूद, समुदायों के बीच घृणा को बढ़ावा देने के प्रयास का संकेत नहीं देती है।
आदेश में कहा गया है कि पुलिस की चिंता को समझा जा सकता है, क्योंकि पुलिस पर शांति और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है और स्थिति को हाथ से बाहर जाने से रोकने के लिए अशांति के मामूली से संकेत पर कार्रवाई की जाती है।
अदालत ने आगे कहा, हालांकि, अदालत को किसी व्यक्ति को हिरासत में भेजने की आवश्यकता पर विचार करते हुए उच्च मानकों पर गौर करना होगा।
इसके साथ ही अदालत ने यह भी नोट किया कि आरोपी अच्छी ख्याति का व्यक्ति है, जिसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और आरोपी के कानून से भागने की कोई संभावना नहीं है।
रतन लाल को 50 हजार रुपये के बॉन्ड और इतनी ही रकम की सिक्योरिटी पर बेल दी गई है।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS