अदालत ने संपत्ति खरीदने में इकबाल मिर्ची की मदद करने वाले शख्स को जमानत दी
अदालत ने संपत्ति खरीदने में इकबाल मिर्ची की मदद करने वाले शख्स को जमानत दी
नई दिल्ली:
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को झटका देते हुए मुंबई की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के सहयोगी इकबाल मिर्ची से जुड़े पीएमएलए मामले में हारून यूसुफ को जमानत दे दी है।युसूफ की ओर से पेश वकील प्रशांत पाटिल ने तर्क दिया कि मामले में ईडी द्वारा मनी ट्रेल का पता नहीं लगाया गया था।
पाटिल ने अदालत में कहा था कि मेरा मुवक्किल उस ट्रस्ट का हिस्सा था, जिसकी संपत्ति इकबाल मिर्ची ने खरीदी थी। वह मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल नहीं था। उसके द्वारा कोई निर्धारित अपराध नहीं किया गया है।
ईडी ने यूसुफ द्वारा दायर याचिका पर आपत्ति जताई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने पाटिल द्वारा दी गई दलीलों को स्वीकार कर लिया।
विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने युसूफ को जमानत देते हुए कहा कि अपराध की आय के कथित सृजन के लिए निर्धारित अपराध से संबंधित किसी भी कथित आपराधिक गतिविधियों में यूसुफ की कोई भूमिका नहीं थी। इसके अलावा, केवल आरोपों को छोड़कर यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि उसे इकबाल मिर्ची के पैसे के स्रोत के बारे में कोई जानकारी थी।
मिर्ची के खिलाफ कई राज्यों में एनडीपीएस एक्ट और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत कई एफआईआर दर्ज की गई थीं। इन प्राथमिकियों के आधार पर ईडी ने 26 सितंबर 2019 को पीएमएलए मामला दर्ज किया।
ईडी को पता चला कि ड्रग्स और हथियारों की तस्करी, जबरन वसूली रैकेट और अन्य गैरकानूनी कामों के जरिए मिर्ची ने भारी संपत्ति अर्जित की और अपराध आय अर्जित की। इस आय को बाद में महाराष्ट्र में रियल एस्टेट कारोबार में निवेश किया गया था।
कुछ शेल फर्मों को शामिल किया गया था जिन्हें मिर्ची और उसके परिवार के सदस्यों के साथ-साथ रिश्तेदारों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था।
फर्जी केवाईसी का उपयोग करके बैंक खाते खोले गए, जिसके माध्यम से करोड़ों रुपये विभिन्न पार्टियों को हस्तांतरित किए गए और अंतत: मिर्ची द्वारा दुबई में गैर-बैंकिंग चैनलों के माध्यम से जमा किया गया।
यह भी आरोप लगाया गया कि मिर्ची ने एक ट्रस्ट से संबंधित संपत्तियां खरीदीं। ट्रस्ट का नियम था कि अगर कोई उसकी संपत्तियों को खरीदना चाहता है तो खरीदार को हाईकोर्ट से अनुमति लेनी होगी।
1986 में मिर्ची ने ट्रस्ट से जुड़ी तीन संपत्तियां खरीदीं। हालांकि, उन्होंने हाईकोर्ट से अनुमति नहीं ली थी, जिसके बाद ट्रस्ट ने समझौते को समाप्त कर दिया। 1991 में वह भारत से भाग गया। ईडी ने अपने मामले में आरोप लगाया कि यूसुफ ने मिर्ची से पैसे लिए, जो अपराध की आय थी, और उसे आरोपी बनाया।
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