कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (केकोका) की विशेष अदालत ने बुधवार को भाजपा नेता और उद्योगपति आर.एन. नायक की दिसंबर 2013 को गोली मारकर की गई हत्या के मामले में जेल में बंद अंडरवल्र्ड डॉन बन्नांजे राजा को दोषी पाया। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
यह गोलीबारी 21 दिसंबर, 2013 को उत्तर कन्नड़ जिले के अंकोला में हुई थी। यह राज्य में केकोका अधिनियम के तहत दर्ज होने वाला पहला मामला था।
राजेंद्र शेट्टी उर्फ बन्नांजे राजा हत्या, जबरन वसूली और अपहरण सहित 44 गंभीर अपराधों में शामिल रहा है। अधिकारियों ने बन्नांजे राजा के खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था और उसे मोरक्को के कैसाब्लांका में पकड़ा गया था। बाद में उसे वहां से कर्नाटक प्रत्यर्पित किया गया।
राजा, जिसे मामले में 9वें आरोपी के रूप में नामित किया गया था, कर्नाटक के बेंगलुरु और महाराष्ट्र के तटीय जिलों में कई मामलों में नामित किया गया था।
उत्तर प्रदेश के जगदीश पटेल, बेंगलुरु के अभि भंडारा, उडुपी के गणेश भजनत्री, केरल के के.एम. इस्माइल, हासन के महेश अचांगी, केरल के एम.बी. संतोष, बेंगलुरु के जगदीश चंद्रराज और उत्तर प्रदेश के अंकित कुमार कश्यप को भी इस मामले में दोषी ठहराया गया है।
विशेष अदालत के न्यायाधीश सी.एम. जोशी ने 4 अप्रैल को सजा की घोषणा के लिए आदेश सुरक्षित रखा है।
इसके अलावा, अदालत ने मामले से कुछ आरोपियों - रबदीन पिचाई, मोहम्मद शबंदरी और आनंद रमेश नायक को बरी कर दिया है।
विशेष लोक अभियोजक एस.बी. पुराणिक मठ और अतिरिक्त लोक अभियोजक शिवप्रसाद अल्वा ने अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे आरोपियों के खिलाफ दलील दी है।
अल्वा ने कहा है कि कोर्ट ने फैसले के जरिए समाज को अच्छा संदेश दिया है। पुलिस और अभियोजन पक्ष ने असामाजिक तत्वों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इस मामले में गैंगस्टर बन्नांजे राजा से जुड़े होने के बाद से किसी खतरे का सामना करना पड़ा, उन्होंने कहा कि इसके लिए कोई जगह नहीं है, क्योंकि उन्हें सरकार द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को निभाना है।
उन्होंने कहा, इस फैसले से पता चलता है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। कानून अपना काम करता है। अगर पुलिस और अभियोजन एक साथ मिलकर मामले को आगे बढ़ाते हैं, तो किसी भी आपराधिक तत्व के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है।
राजा ने जबरन वसूली का आह्वान किया था और मृतक नायक से सुरक्षा राशि की मांग की थी। जब उसने पैसे देने से इनकार कर दिया, तो राजा ने गोलीबारी की योजना बनाई।
उसने मीडिया घरानों को फोन किया था और दावा किया था कि उसने हत्या को अंजाम दिया, जिससे राज्य और केंद्रीय जांच एजेंसियों को शर्मिदगी उठानी पड़ी।
विभिन्न न्यायाधीशों ने सात साल से अधिक समय तक मामले की सुनवाई की है। 210 से अधिक गवाहों ने अपने बयान दर्ज किए हैं। अभियोजकों ने 1,000 पन्नों के दस्तावेजी सबूत पेश किए हैं।
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Source : IANS