मप्र में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर जबलपुर हाईकोर्ट ने रोक बरकरार रखा
मप्र में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर जबलपुर हाईकोर्ट ने रोक बरकरार रखा
जबलपुर:
मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण 14 प्रतिशत से 27 प्रतिशत किए जाने के फैसले पर लगाई गई रोक को बरकरार रखा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक तथा न्यायाधीश वी के शुक्ला ने ओबीसी आरक्षण 13 प्रतिशत होल्ड किये जाने के संबंध में पूर्व में पारित आदेश की प्रति रिकॉर्ड में नहीं होने के कारण अगली सुनवाई 30 सितम्बर को निर्धारित की है।गौरतलब है कि आशिता दुबे सहित अन्य की तरफ से प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के खिलाफ तथा पक्ष में लगभग तीन दर्जन याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिकाओं की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने छह याचिकाओं पर ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर रोक लगा दी थी। सरकार द्वारा स्थगन आदेश वापस लेने के लिए आवेदन दायर किया गया था। उच्च न्यायालय ने एक सितम्बर 2021 को स्थगन आदेश वापस लेने से इंकार करते हुए संबंधित याचिकाओं को अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किये थे।
प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने महाधिवक्ता द्वारा 25 अगस्त 2021 को दिए गए अभिमत के आधार पर पीजी नीट 2019-20,पीएससी के माध्यम से होने वाली मेडिकल अधिकारियों की नियुक्ति तथा शिक्षक भर्ती छोड़कर अन्य विभाग में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत दिये जाने के आदेश जारी कर दिये थे। इन तीन प्रकरणों में उच्च न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत देने पर रोक लगाई थी। प्रदेश सरकार द्वारा जारी उक्त आदेश की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए यूथ फॉर इक्वलिटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी।
याचिका की सुनवाई के दौरान सोमवार को युगलपीठ को बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने साल 1993 में इंदिरा साहनी तथा साल 2021 में मराठा आरक्षण के मामलें स्पष्ट आदेश दिए हैं कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर आरक्षण की सीमा 63 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी। उच्च न्यायालय ने उक्त याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सरकार के आवेदन पर मेडिकल ऑफिसर की नियुक्ति के संबंध में 13 जुलाई 2021 को पारित आदेश में प्रदेश सरकार 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ सिलेक्शन लिस्ट जारी करने के निर्देश दिये थे। शेष 13 प्रतिशत को होल्ड किये जाने के आदेश भी उच्च न्यायालय द्वारा जारी किये गये थे। उक्त आदेश की प्रति रिकॉर्ड में नहीं होने के कारण युगलपीठ ने सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश पर 30 सितम्बर को सुनवाई निर्धारित की है।
युगलपीठ ने 13 जुलाई 2021 को पारित आदेश की प्रति सभी पक्षकारों को उपलब्ध करवाने के निर्देश भी जारी किए हैं। युगलपीठ ने मौखिक रूप से कहा है कि सरकार को संविधान की जानकारी है और ओबीसी आरक्षण का मामला अंतिम आदेश के अधीन रहेगा।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संधी, अधिवक्ता सुयश ठाकुन तथा सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुशार मेहता तथा महाधिवक्ता पुरूशेन्द्र कौरव तथा इंटरविनर की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिशक मुनि तथा इंदिरा जयसिंह उपस्थित हुई।
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