सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड मामले में सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के एक महत्वपूर्ण आदेश को रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के आरोपी के खिलाफ कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (ककोका) के प्रावधानों के तहत आपराधिक आरोप पत्र निरस्त कर दिया था।
दरअसल इससे पहले आरोपी मोहन नायक के खिलाफ ककोका के तहत मामला चलाया जा रहा था, लेकिन अप्रैल में हाईकोर्ट ने उसे हटा दिया। इसके बाद गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल के निर्णय को चुनौती देने वाली राज्य सरकार और गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश की अपील पर यह फैसला सुनाया।
लंकेश की 2017 में उनके बेंगलुरु स्थित आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर के साथ ही न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की एक खंडपीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ अपील की अनुमति दी, जिसने गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपियों में से एक मोहन नायक के खिलाफ ककोका के तहत आरोपों को खारिज कर दिया था।
लंकेश की बहन कविता लंकेश ने हाईकोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए यह अपील दायर की थी और याचिका में तर्क दिया गया था कि नायक लंकेश के हत्यारों को अपराध करने से पहले और बाद में आश्रय प्रदान करने में सक्रिय रूप से शामिल था।
नायक का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया था कि उसके मुवक्किल की वास्तविक अपराध में कोई भूमिका नहीं थी और अगर उसे ककोका के तहत शामिल किया जाना है, तो अपराध सिंडिकेट के साथ उसके जुड़ाव का कोई सबूत नहीं है।
बता दें कि गौरी लंकेश की पांच सितंबर 2017 की रात को बेंगलुरु में स्थित उनके घर के पास ही नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
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Source : IANS