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लद्दाख में चीन सीमा पर घातक हथियारों से लैस भारतीय जवानों की तैनाती

पहाड़ों की चोटियों के बीच खड़े हेलीकॉप्टर के सामने गरुड़ स्पेशल फोर्स के जवान हाथों में नेगेव लाइट मशीन गन, टेवर-21 और एके-47 असॉल्ट राइफल के साथ मुस्तैद हैं.

Updated on: 09 Aug 2021, 03:19 PM

highlights

  • गरुड़ स्पेशल फोर्स के जवान हाथों में घातक हथियारों के साथ मुस्तैद
  • ऊंचाई वाले इलाकों में टी-90 भीष्म और टी-72 टैंकों की तैनाती
  • भारतीय जवानों को अमेरिकी राइफल और स्विस पिस्टल से लैस किया गया

नई दिल्ली:

मई 2020 में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारत-चीन सेना के जवानों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ही भारतीय सेना ने लद्​दाख में अपने आपको मजबूत बनाने का इरादा कर लिया था. इस ऑपरेशन को नाम दिया गया था स्नो लेपर्ड, जिसके तहत 14000 से लेकर 17000 फीट की ऊंचाई पर शून्य से नीचे तापमान में सरहद की रक्षा में तैनात भारतीय जवानों को आधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है. इसके साथ ही ऊंचाई वाले इलाकों में टी-90 भीष्म और टी-72 टैंकों की तैनाती शुरू कर दी गई है. अब गरुड़ स्पेशल फोर्स के जवानों को फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात किया गया है, जो दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं. इसके पहले यहां तैनात भारतीय जवानों को अमेरिकी राइफल और स्विस पिस्टल से लैस किया गया था. 

तैनात किए गए गरुड़ स्पेशल फोर्स के जवान
गौरतलब है कि भारत और चीनी सेनाओं के बीच बातचीत के जरिए इस वक्त वास्तविक नियंत्रण रेखा मामले को सुलझाने की कोशिश हो रही है. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ कई इलाकों में गतिरोध लगातार बरकरार है. कुछ इलाकों में सेना की वापसी भी हुई है. लेकिन अब भी कई प्वाइंटस पर तनाव बरकरार है. इसके बीच एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसमें पहाड़ों की चोटियों के बीच खड़े हेलीकॉप्टर के सामने गरुड़ स्पेशल फोर्स के जवान हाथों में नेगेव लाइट मशीन गन, टेवर-21 और एके-47 असॉल्ट राइफल के साथ मुस्तैद हैं. 

मिसाइल कवच से लैस है टी-90 भीष्म टैंक
भारतीय सेना ने पिछले साल लद्दाख के सामरिक लिहाज से महत्वपूर्ण बिंदुओं पर टैंक शेल्टर सहित अपने टैंक संचालन को मजबूत व बेहतर बनाने के लिए एक विशाल बुनियादी ढांचा भी बनाया है, जो सर्दियों के दौरान मशीनों को खुले में पार्क करने से बचने में मदद करता है. पूर्वी लद्दाख में इन ऊंचाइयों पर -45 डिग्री तक तापमान रहता है. यही नहीं, रेगिस्तान और मैदानी इलाकों में अपना लोहा मनवाने वाले बीएमपी सीरीज इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स को भी स्थापित किया गया है. गौरतलब है कि टी-90 भीष्म टैंक में मिसाइल हमले को रोकने वाला कवच है. इसमें शक्तिशाली 1000 हॉर्स पावर का इंजन है. यह एक बार में 550 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम है. इसका वजन 48 टन है. यह दुनिया के हल्के टैंकों में एक है. यह दिन और रात में दुश्मन से लड़ने की क्षमता रखता है. जाहिर है गलवान की खूनी भिड़ंत के बाद से भारतीय सेना चीन को कोई मौका नहीं देना चाहती है.

ऊंचाई वाले इलाकों में तैनाती
सीमा विवाद के मसले को बातचीत के जरिए हल करने के प्रयास के बीच पैंगोंग झील और गोगरा ऊंचाई जैसे कुछ स्थानों पर कई कठिनाइयों के बावजूद भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिकों को बनाए रखना जारी रखा है. चीन के खिलाफ भारतीय सेना ने भी इन क्षेत्रों में इन ऊंचाइयों पर किसी भी खतरे या चुनौती से निपटने के लिए टैंक और आईसीवी के साथ अपने अभियानों को मजबूत किया है. इस पर निरंतर काम हो भी रहा है. अत्याधुनिक हथियार औऱ सैन्य साज-ओ-सामान के जमावड़े से साफ है कि भारत किसी भी चुनौती पर चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में आ चुका है.