कांग्रेस को चुस्त-दुरुस्त करने की कवायद लंबे समय से चल रही है. लेकिन पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद पार्टी के अंदर विचार-विमर्श और बैठकों का दौर बढ़ गया है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर संगठन को सक्रिय करने का मंत्र दे रहे हैं. प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के पुनरुत्थान के लिए कई सुझाव प्रजेंटेशन के माध्यम से दिए गए हैं. इनमें से ही एक सुझाव यह भी है कि गांधी परिवार की त्रिमूर्ति कहे जाने वाले सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी में से कोई भी नेता पार्टी का अध्यक्ष न रहे. इसकी बजाय परिवार से बाहर के किसी नेता को यह जिम्मेदारी दी जाए. ऐसे में अहम सवाल यह है कि फिर गांधी परिवार के ये नेता क्या जिम्मेदारी संभालेंगे.
पीके ने सुझाव दिया है कि सोनिया गांधी यूपीएम की चेयरमैन रहें, इसके अलावा राहुल गांधी संसदीय बोर्ड के नेता बनें और प्रियंका गांधी को महासचिव कॉर्डिनेशन की जिम्मेदारी दी जाए. इसके अलावा उन्होंने सुझाव दिया है कि कांग्रेस को गठबंधन की राजनीति पूरी आक्रामकता के साथ करनी चाहिए. उनका कहना है कि कांग्रेस को पूर्व और दक्षिण की 200 सीटों पर फोकस करना चाहिए. इन सीटों पर भाजपा का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं है. यही नहीं प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को वैचारिक जमीन पर वापस लौटने का भी सुझाव दिया है. पीके का कहना है कि कांग्रेस को लोकतांत्रिक दल के तौर पर काम करना चाहिए. इसके अलावा उसे जनता को यह बताना होगा कि वह वंशवाद और भ्रष्टाचार से अलग है.
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प्रशांत किशोर के करीबियों के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीके ने 600 स्लाइड्स तैयार की हैं. इन स्लाइड्स में बताया गया है कि ग्रासरूट लेवल पर कांग्रेस को अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत करना होगा, उन्हें सक्रिय करना होगा. इसके लिए जरूरी यह है कि बुजुर्ग और जड़ हुए नेताओं को बाहर करना होगा. इसकी बजाय जिला स्तर पर नई लीडरशिप तैयार करनी होगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपने कॉम्युनिकेशन सिस्टम को भी बदलना होगा. यही नहीं कुछ नारे भी पीके ने कांग्रेस को सुझाए हैं, जिनके जरिए पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभियान चलाया जा सकता है.
पीके का सुझाव है कि कांग्रेस को 'हानिकारक मोदी' और 'मोदी जाने वाले हैं' के नारे पर आगे बढ़ना होगा. दरअसल चुनावी रणनीतिकार का कहना है कि इस तरह से कांग्रेस को पीएम नरेंद्र मोदी की नीतियों पर अटैक करना चाहिए न कि उन पर व्यक्तिगत तौर पर हमला करना चाहिए.