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एफटीटीआई के चेयरमैन गजेंद्र सिंह का कार्यकाल शुक्रवार को खत्म हो रहा है और अपने काम को लेकर उन्होंने अपनी पीठ थपथपाई है। उन्होंने कहा कि उनका कार्यकाल संतोषजनक रहा है और छात्रों को इससे अच्छा संदेश भी गया है।
फिल्म एण्ड टेलिविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के चेयरमैन के तौर पर गजेंद्र सिंह चौहान का कार्यकाल खत्म हो रहा है। उनकी नियुक्ति जून 2015 में हुई थी और उनकी नियुक्ति को लेकर काफी विवाद भी हुआ था। छात्रों ने एफटीटीआई जैसी संस्था का चेयरमैन बनाए जाने पर उनकी योग्यता को लेकर सवाल उठाए थे और प्रदर्शन भी किया था।
शुक्रवार को गजेंद्र सिंह चौहान एफटीआईआई के चेयरमैन के तौर पर गवर्निंग काउंसिल के बैठक की अध्यक्षता करेंगे। यदि उनके कार्यकाल को एक्सटेंशन नहीं दिया जाता है तो यह उनकी अध्यक्षता में अंतिम बैठक होगी।
गजेंद्र सिंह चौहन ने अपने कार्यकाल पर कहा, 'मेरा कार्यकाल मेरे और सरकार के लिये काफी संतोषजनक रहा है, इंस्यीट्यूट् के छात्रों को संदेश भी गया है कि मैंने अच्छा काम किया है।'
हालांकि एफटीटीआई के चेयरमैन की नियुक्ति 3 साल के लिये होती है लेकिन चौहान की नियुक्ति 4 मार्च, 2014 से की गई थी। यदि केंद्र सरकार उनके कार्यकाल को नहीं बढ़ाती है तो डिप्यूटी चेयरमैन बीपी सिंह और गवर्निंग बॉडी के दूसरे सदस्यों का भी कार्यकाल खत्म मान लिया जाएगा। इन सदस्यों में अंग़ा गैसास, शैलेश गुप्ता, नरेंद्र पाठक और राहुल सोलापुरकर जेसे विवादित नाम शामिल हैं।
अभी तक सरकार की तरफ से वर्तमान गवर्निंग बॉडी को एक्सटेंशन देने संबंधी किसी तरह का निर्देश जारी नहीं की गई है।
इंस्टीट्यूट के छात्रों को कलाकारों का भी समर्थन मिला था। छात्रों के आंदोलन में हिंसक झड़पें भी हुई थीं। 16 अगस्त 2015 को छात्रों में इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रशांत पाथरोबे को उनके ऑफिस में देर रात तक घेर लिया था। जिसके बाद करीब 35 छात्रों के खिलाफ मामला भी दर्ज़ किया गया था।
छात्रों के विरोध के खत्म होने के बाद ही गजेंद्र सिंह अपना कार्यभार संभाल सके थे।
चेयरमेन के तौर पर चौहान ने कैंपस में अनुशासन को लेकर सख्त नियम बनाए जो उनके कार्यकाल की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। इसके साथ ही इंस्टीट्यूट के कैंपस में बिना निदेश की मंज़ूरी के मीडिया के जाने पर भी रोक लगा दी गई थी।
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Source : News Nation Bureau