हम और आप जो दूध पीते हैं, क्या उसके बारे में पता है कि वो कितना शुद्ध है. शायद नहीं, तो हम आपको बता दें कि 41 फीसदी प्रोसेस्ड और कच्चा दूध गुणवत्तापूर्ण के पैमाने में कम है. 41 फ़ीसदी दूध में फैट और एसएनएफ यानी सोलिडस नॉट फैट का मात्रा कम पाया गया. दूध की शुद्धता को लेकर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अपनी सर्वे रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक 41 प्रतिशत प्रोसेस्ड और कच्चा दूध गुणवत्तापूर्ण के पैमाने में कम है. वहीं, 41 फीसदी दूध में फैट और एसएनएफ यानी सोलिडस नॉट फैट का मात्रा भी तय मानकों से कम पाई गई है.
इसे देखते हुए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने 1 जनवरी 2020 से संगठित क्षेत्र के दूध कंपनियां जैसे मदर डेरी, अमूल, पारस को भी अपने दूध के सैंपल (Milk Sample) की जांच FSSAI की लैब में कराना होगी.
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हालांकि जिस दूध में एसएनएफ यानी सोलिडस नॉट फैट का मात्रा कम है उसे पीने में कोई दिक्कत नहीं है. इसका इस्तेमाल हो सकता है. जिस दूध में एसएनएफ कम पाया जा रहा है उसके दो कारण हैं या तो गाय को प्रॉपर खाना नहीं मिल पा रहा है या दूध में पानी मिलाकर बेचा जा रहा हो.
दूध पर जारी हुआ एफएसएसएआई (FSSAI) का नए सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 93 फीसदी दूध शुद्ध और सुरक्षित है. बाकी 7 प्रतिशत में contaminants और मिलावट है. 1.2 फीसदी सैंपल में एंटी-बायोटिक्स तय सीमा से ज्यादा है. 5.7 फीसदी सैंपल में अफ़लटॉक्सिन एम 1 तय सीमा से ज्यादा है. कुल 6432 सैंपल में से सिर्फ 12(0.18%) में यूरिया, डिटरजेंट और हाईड्रोजन पेरॉक्साईड जैसी मिलावट जो सेहत के लिए खतरनाक है. वहीं, 6432 सैंपल में से 156 में maltodextrin और 78 में शुगर पाया गया है.
सर्वे के लिए मई 2018 से अक्टूबर 2018 के बीच सैंपल लिया गया था. 50 हज़ार से अधिक जनसंख्या वाले 1103 शहरों से 6432 दूध सैम्पल्स कलेक्ट किया गया.
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वहीं पैकेट वाले दूध में भी 37.7% सैंपल क्वालिटी स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं है. यानी उसमें फैट और एसएनएफ की मात्रा कम. हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि दूध असुरक्षित है. इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.