Advertisment

22 जुलाई से किसान मॉनसून सत्र की समाप्ति तक संसद के बाहर करेंगे प्रदर्शन

पंजाब यूनियनों द्वारा यह भी घोषणा की गई कि राज्य में बिजली की आपूर्ति के संबंध में स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है, इसलिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के 'मोती महल' के घेराव के पूर्व घोषित कार्यक्रम को अभी स्थगित किया जाता है .

author-image
Ravindra Singh
एडिट
New Update
kisan andolan

किसान आंदोलन( Photo Credit : फाइल )

Advertisment

संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों के संघर्ष को तेज करने हेतु अपनी योजनाओं की घोषणा की- आगामी संसद सत्र में विपक्षी दलों को किसान आंदोलन की सफलता के लिए काम करने की चेतावनी दी जाएगी- 22 जुलाई 2021 से किसान प्रतिदिन मानसून सत्र की समाप्ति तक संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे. केंद्र सरकार के मंत्रियों को पहले ही बताया जा चुका है कि किसान कानूनों को निरस्त करने से कम कुछ क्यों नहीं मांगते. सिंघू बार्डर पर आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान आंदोलन के नेताओं ने आने वाले दिनों में अपने संघर्ष को तेज करने के लिए कई फैसलों की घोषणा की. 19 जुलाई 2021 से मानसून सत्र  शुरू होगा. 

एसकेएम जुलाई 17 तारीख को देश के सभी विपक्षी दलों को एक चेतावनी पत्र भेजेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सत्र का उपयोग किसानों के संघर्ष का समर्थन करने के लिए किया जाता है, और किसानों की मांगों को सरकार पूरा करे. इसके अलावा, 22 जुलाई से, प्रति संगठन पांच सदस्य और प्रति दिन कम से कम दो सौ प्रदर्शनकारी संसद के बाहर हर दिन मानसून सत्र की समाप्ति तक विरोध प्रदर्शन करेंगे. पंजाब यूनियनों द्वारा यह भी घोषणा की गई कि राज्य में बिजली की आपूर्ति के संबंध में स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है, इसलिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के 'मोती महल' के घेराव के पूर्व घोषित कार्यक्रम को अभी स्थगित किया जाता है. संयुक्त किसान मोर्चा की पिछली बैठक में यह पहले ही तय हो गया था कि डीजल और रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के खिलाफ 8 जुलाई 2021 को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच देशव्यापी विरोध प्रदर्शन होगा.

केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और श्री पीयूष गोयल दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 के महीनों में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों के साथ ग्यारह दौर की औपचारिक वार्ता का हिस्सा थे. मंत्री दृय कहते रहे हैं कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है, बशर्ते कि किसान उन प्रावधानों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं जिनसे उन्हें समस्या है. मंत्री यह भी कह रहे हैं कि सरकार तीन काले केंद्रीय कानूनों को निरस्त नहीं करेगी. किसान पहले ही स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि संशोधन क्यों काम नहीं करेंगे. सरकार की मंशा भरोसेमंद नहीं है. किसान जानते हैं कि कानूनों को जीवित रखने से विभिन्न तरीकों से किसानो की कीमत पर कॉरपोरेट्स का समर्थन करने के एक ही उद्देश्य के लिए कार्यकारी शक्ति का दुरुपयोग होगा. 

इसके अलावा, जब एक कानून का उद्देश्य ही गलत हो गया है और यह किसानों के खिलाफ है, तो यह स्पष्ट है कि क़ानून के अधिकांश खंड उन गलत उद्देश्यों को पूरा करने के लिए होंगे; सिर्फ इधर-उधर छेड़छाड़ करने से काम नहीं चलेगा. किसानों ने यह भी बताया है कि इन कानूनों को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक तरीके से लाया गया है. केंद्र सरकार ने उन क्षेत्रों में कदम रखा है जहां उसके पास कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. केंद्र सरकार ने  देश के किसानों पर कानून थोपने के लिए अलोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का भी पालन किया. यह सब अस्वीकार्य है, और इसलिए, किसान इन्हें निरस्त करने की अपनी मांग पर अडिग हैं. दूसरी ओर, सरकार ने अब तक एक भी कारण नहीं बताया है कि इन कानूनों को निरस्त क्यों नहीं किया जा सकता है. हम केवल यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक चुनी हुई सरकार अपने नागरिकों के सबसे बड़े वर्ग - किसानों - के साथ अहंकार का खेल खेल रही है. और देश के अन्नदाता के ऊपर क्रोनी पूंजीपतियों के हितों को चुनना पसंद कर रही है.

सभी सीमाओं पर किसानों के आंदोलन के लिए स्थानीय समर्थन मजबूत और सुसंगत रहा है. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से एक बड़े ट्रैक्टर काफिले की योजना बनाई जा रही है. जिस तरह स्थानीय समुदायों द्वारा अधिक सामग्री की आपूर्ति की जा रही है, उसी तरह अधिक किसान विरोध स्थलों पर पहुंच रहे हैं. जींद से ग्रामीणों से भारी मात्रा में गेहूं प्राप्त हुआ है. इसमें सिर्फ किसान ही शामिल नहीं हो रहे हैं, बल्कि ट्रेड यूनियनों, छात्रों, वकीलों और अन्य कार्यकर्ता भी शामिल हो रहे हैं. पंजाब में, विभिन्न शहरी केंद्रों में युवा समूहों द्वारा शाम को यातायात चौराहों पर आयोजित किए जा रहे एकजुटता विरोध विभिन्न कस्बों और शहरों में एक नियमित दृश्य बन गया है.विरोध असाधारण नागरिकों के शांतिपूर्ण संकल्प द्वारा संचालित हैं. गाजीपुर बार्डर पर बुलंदशहर जिले के मदनपुर गांव के श्री स्वर्ण सिंह करीब सात महीने से शांतिपूर्ण और दृढता से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी उम्र 101 साल है! हम आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत की खेती की रक्षा करने के उनके जज्बे को सलाम करते हैं.

Source : News Nation Bureau

delhi-kisan-andolan kisan-andolan Kisan Protest Kisan will Protest parliament monsoon-session किसान आंदोलन
Advertisment
Advertisment
Advertisment