हरीश रावत से त्रिवेंद्र रावत तक, उत्तराखंड को राजनीतिक अस्थिरता से मिलेगी आजादी

साल 2000 में 9 नवंबर को यूपी से अलग होकर एक नए राज्य का उदय हुआ जिसका नाम उत्तराखंड था

साल 2000 में 9 नवंबर को यूपी से अलग होकर एक नए राज्य का उदय हुआ जिसका नाम उत्तराखंड था

author-image
kunal kaushal
एडिट
New Update
हरीश रावत से त्रिवेंद्र रावत तक, उत्तराखंड को राजनीतिक अस्थिरता से मिलेगी आजादी

त्रिवेंद्र सिंह रावत (फाइल फोटो)

साल 2000 में 9 नवंबर को यूपी से अलग होकर एक नए राज्य का उदय हुआ जिसका नाम उत्तराखंड था। विषम भूगोल वाले इस राज्य का गठन तो क्षेत्रीय विषमताओं के आधार पर हुआ था। लेकिन राज्य बनने के 17 साल बाद भी ज्यादातर समय उत्तराखंड को राजनीतिक अस्थिरता का ही सामना करना पड़ा है।

Advertisment

जब उत्तराखंड राज्य बना था तो लोगों को उम्मीद थी की स्थानीय नेता इस पत्थर-पहाड़ से भरे राज्य की समस्या को समझेंगे और इसे दूर करेंगे। लेकिन राजनीतिक दलों की सत्ता की चाह ने इसे अस्थिरता के दलदल में ही ठेल दिया।

राज्य बनने के बाद डेढ़ साल के भीतर ही राज्य को नित्यानंद स्वामी और भगत सिंह कोश्यारी जैसे दो-दो सीएम देखने पड़े। हालांकि बहुमत ना मिलने के कारण बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी और उसके बाद कांग्रेस के एनडी तिवारी सरकार ने राज्य में अपने पांच साल पूरे किए। उस वक्त कांग्रेस सरकार के दौरान भी राजनीतिक उठापटक जारी ही रही।

2007 में एक बार फिर राज्य में बीजेपी ने सत्ता की कमान संभाली लेकिन इसके बाद तो उत्तराखंड राजनीतिक अस्थिरता का जैसे केंद्र बनकर ही रह गया।

राज्य बनने के बाद बीजेपी ने उत्तराखंड में 12 साल के भीतर तीन सीएम दे दिए लेकिन कोई भी नेता वहां की जनता को स्थिर सरकार देने में नाकाम ही रही। इसी अस्थिरता की वजह से वहां ज्यादातर समय सरकार विकास के कामों पर नहीं अपनी सरकार बचाने के पैतरों पर अपना ध्यान लगाए रखती थी।

साल 2012 में राज्य में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद भी उत्तराखंड को स्थिर सरकार नहीं ही मिल पाई। 2012 में मुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा ने अपनी ही पार्टी में बगावत कर दी और बीजेपी में शामिल हो गए। बहुगुणा के बगावत के बाद कांग्रेस ने हरीश रावत को सत्ता की कमान सौंपी लेकिन रावत सरकार में फिर विधायकों ने बगावत कर दी। इसी वजह से राज्य में लोगों को पहली बार राष्ट्रपति शासन तक का सामना करना पड़ा।

ये भी पढ़ें: त्रिवेंद्र सिंह रावत की ताजपोशी में पीएम मोदी और अमित शाह भी होंगे मौजूद, शपथ समारोह 3 बजे

उत्तराखंड में राजनीतिक हालात ये रहे हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले तक सीएम रहे हरीश रावत विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में सीबीआई जांच का सामना करना पड़ रहा है।

ये भी पढ़ें: बीजेपी विधायक दल की बैठक आज, सीएम पद के लिए मनोज सिन्हा के नाम पर लग सकती है मुहर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य के नेताओं में सत्ता की भूख जनता के हित पर भारी पड़ता है। शायद यही वजह है कि इस बार देवभूमि कह जाने वाले उत्तराखंड की जनता ने बीजेपी का प्रचंड बहुमत दिया है ताकि राज्य को एक स्थिर सरकार मिल सके और सरकार का ध्यान विकास कार्यों पर हो ना की अपनी कुर्सी बचाने पर। त्रिवेंद्र सिंह रावत आज वहां पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। उनपर जनआकांक्षाओं को पूरा करने का भारी दबाव भी होगा।

ये भी पढ़ें: बीजेपी का मिशन 2019: यूपी का सीएम ऐसा हो जो पीएम मोदी को दोबारा दिल्ली की सत्ता पर बिठा सके

Source : Kunal Kaushal

Trivendra Singh Rawat uttrakhand
      
Advertisment