गुजरात स्थित एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड जब देश की अब तक की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी को अंजाम दे रही थी तो इस धोखाधड़ी के कारण सर्वाधिक नुकसान उठाने वाले निजी क्षेत्र के बैंक आईसीआईसीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक की बागडोर उस वक्त महिलाओं के हाथ में थी।
एबीजी शिपयार्ड ने देश के 28 बैंकों को 22,842 करोड़ रुपये का चूना लगाया है और इस धोखाधड़ी का सबसे बड़ा शिकार आईसीआईसीआई बैंक हुआ है, जिसे 7,089 करोड़ रुपये की चपत लगी। इसके बाद आईडीबीआई बैंक लिमिटेड को 3,639 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जबकि एसबीआई को 2,925 करोड़ रुपये ही हानि झेलनी पड़ी।
एबीजी शिपयार्ड जब चुपचाप इस कारस्तानी को अंजाम देने में जुटा था, उस वक्त आईसीआईसीआई की बागडोर हाई-प्रोफाइल महिला बैंकर चंदा कोचर के हाथ में थी और एसबीआई की कमान प्रसिद्ध बैंकर अरुं धती भट्टाचार्य के हाथ में थी। चंदा कोचर को वीडियोकॉन के विवादास्पद मामले के कारण अक्टूबर 2018 में आईसीआईसीआई को अलविदा कहना पड़ा था जबकि भट्टाचार्य अक्टूबर 2017 में सेवानिवृत्त हो गयीं थीं। भट्टाचार्य को फोर्ब्स की दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं की साल 2016 की सूची में 25वां स्थान मिला था।
रोचक तथ्य यह है कि एसबीआई की जिस फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट
(18 जनवरी 2019) के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक धोखाधड़ी मामले में शिकायत दर्ज की है, वह ऑडिट रिपोर्ट अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 तक की है और भट्टाचार्य ने 2013 में एसबीआई की कमान संभाली थी।
बैंकिंग यूनियन और विशेषज्ञ इस बात पर नाराजगी जता रहे हैं कि बैंक किस तरह अब ऋण लेने वाले को पूरी तरह जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
बैंकिंग यूनियन के संयुक्त फोरम के संयोजक देवीदास तुजलापुरकर ने कहा कि जब यह धोखाधड़ी हो रही थी तो क्या पूरी बैंकिंग प्रणाली सो रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक ऑडिट करता है और बैंक के निदेशक मंडल में इसके प्रतिनिधि रहते हैं। उस वक्त ये क्या कर रहे थे और इस घोटाले में उनकी क्या भूमिका थी।
ट्रेड यूनियन की संयुक्त कार्य समिति के संयोजक तथा बैंकिंग विशेषज्ञ विश्वास उतागी ने कहा कि सीबीआई एसबीआई की इस बात कैसे आसानी से मान सकती है कि उसके कोई कर्मचारी इसमें संलिप्त नहीं थे, खासकर जब इतनी बड़ी मात्रा में जनता के धन की हानि हुई हो।
उतागी ने कहा कि जब इतनी बड़ी धोखाधड़ी हो तो कंसर्टियम में शामिल बैंकों के महाप्रबंधक स्तर से उपर से सभी व्यक्ति निश्चित रूप से जिम्मेदार हैं। हम मांग करते हैं कि सीबीआई ईमानदारी के साथ अध्यक्षों, प्रबंध निदेशकों, निदेशकों आदि की जांच करे और सच का पता लगाये।
इस धोखाधड़ी मामले में कथित रूप से एसबीआई के नर्म रुख पर टिप्पणी करते हुए ऑल इंडिया बैंक ऑफिशर्स एसोशियन के महासचिव एस नागराजन ने कहा कि बैंक तो जरूरतमंद छात्रों द्वारा लिये गये छोटे शिक्षा रिण के मामले में भी सहानुभूति नहीं दिखाते हैं।
नागराजन ने कहा, कंसर्टियम नेता के आग्रह पर जब इतनी बड़े रिण को अनुमति दी गयी तो क्या अन्य बैंकों ने इसकी जांच की,खातों की निगरानी की या सुरक्षा बढ़ाया। अगर ऐसा नहीं हुआ तो जरूर कुछ गड़बड़ है।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS