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फ्रांस का दावा- भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में नहीं होगी कोई देरी

भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने कहा कि भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में कोई देरी नहीं होगी और जिस समय सीमा को तय किया गया था उसका सख्ती से पालन किया जाएगा.

Updated on: 24 May 2020, 09:10 PM

दिल्ली:

भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने कहा कि भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में कोई देरी नहीं होगी और जिस समय सीमा को तय किया गया था उसका सख्ती से पालन किया जाएगा. फ्रांस कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों से जूझ रहा है और यूरोप से सबसे प्रभावित देशों में से एक है. देश में एक लाख 45 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए हैं, जबकि 28,330 लोगों की मौत हो चुकी है.

ऐसी आशंका थी कि फ्रांस समय पर विमानों की आपूर्ति नहीं कर पाएगा. हालांकि, लेनिन ने कहा कि विमानों की आपूर्ति की वास्तविक समयसीमा का अनुपालन किया जाएगा. लेनिन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि राफेल विमानों के अनुबंधात्मक आपूर्ति कार्यक्रम का अब तक बिल्कुल सही तरीके से सम्मान किया गया है और वास्तव में अनुबंध के मुताबिक अप्रैल के अंत में फ्रांस में भारतीय वायु सेना को एक नया विमान सौंपा भी गया है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आठ अक्टूबर को फ्रांस में एक हवाई अड्डे पर पहला राफेल जेट विमान प्राप्त किया था. राजदूत ने कहा कि हम भारतीय वायुसेना की पहले चार विमानों को यथाशीघ्र फ्रांस से भारत ले जाने की व्यवस्था करने में मदद कर रहे हैं. इसलिए, यह कयास लगाए जाने के कोई कारण नहीं हैं कि विमानों की आपूर्ति के कार्यक्रम की समयसीमा का पालन नहीं हो पाएगा.

भारत ने फ्रांस के साथ सितंबर 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए करीब 58,000 करोड़ रुपये की लागत वाला एक अंतर सरकारी समझौता किया था. भारतीय वायुसेना यह कहती रही है कि राफेल विमानों के आने से उसकी युद्धक क्षमताओं में खासा इजाफा होगा. यह विमान अत्याधुनिक हथियारों और प्रक्षेपास्त्र प्रणाली से लैस है. इसमें बेहद उन्नत रडार प्रणाली लगी हैं जो हर तरह के मौसम में कारगर होगी. इसके अलावा इन विमानों में भारत के मुताबिक कुछ अन्य बदलाव भी किये गए हैं.

भारत ने पहले ही इन लड़ाकू विमानों के स्वागत की तैयारी पूरी कर ली है और इन्हें रखने के लिए आधारभूत ढांचा तैयार कर लिया गया है. इन विमानों की पहली स्क्वाड्रन अंबाला वायुसैनिक अड्डे पर तैनात की जाएगी जो वायुसेना के बेहद रणनीतिक अड्डों में से एक है. भारत-पाकिस्तान सीमा यहां से सिर्फ 220 किलोमीटर दूर है. राफेल विमानों की दूसरी स्क्वाड्रन की तैनाती पश्चिम बंगाल में वायुसेना के हासीमारा अड्डे पर की जाएगी.

वायुसेना को मिलने वाले 36 राफेल विमानों में से 30 युद्धक विमान होंगे जबकि छह प्रशिक्षण विमान. प्रशिक्षण विमान दो सीटों वाले होंगे और इनमें लगभग वो सारी खूबियां होंगी जो लड़ाकू विमानों में हैं.