आखिरकार उद्धव कैबिनेट का फॉर्मूला तय कर लिया गया है. विभागों के बंटवारे को लेकर तीनों पार्टियों में आपसी सहमति बनती दिखाई दे रही है. कांग्रेस को राजस्व, पीडब्लूडी और आबकारी विभाग मिल सकता है, जबकि एनसीपी के खाते में गृह, वित्त, पर्यावरण और वन मंत्रालय जा सकता है. मुख्यमंत्री पद के अलावा शिवसेना के बाद शहरी विकास, हाउसिंग, सिंचाई, परिवहन मिल सकता है. हालांकि, अभी शिक्षा और उद्योग से जुड़े मंत्रालयों पर सहमति बन गई है.
दूसरी तरफ शनिवार को बहुमत साबित करने से पहले डिप्टी सीएम और स्पीकर के पद को लेकर कांग्रेस और एनसीपी लगभग आमने-सामने आ गई हैं. बताते हैं कि इस 'टसल' समेत पोर्टफोलियों के बंटवारे की पहेली को सुलझाने के लिए फ्लोर टेस्ट की कवायद को शनिवार को पूरा करने का फैसला किया गया. इस बाधा को पार करते ही यह तय हो जाएगा कि छह माह तक सरकार को कोई खतरा नहीं रहेगा. अन्यथा उद्धव सरकार को बहुमत हासिल करने के लिए 3 दिसंबर तक का वक्त दिया गया था. शरद पवार और अजित पवार पहले ही संकेत दे चुके हैं कि कांग्रेस से कुछ मसलों पर उनकी एक राय नहीं बन पा रही है. ऐसे में इन पेंचों को खोलने के लिए जरूरी वक्त हासिल करने की वजह से भी फ्लोर टेस्ट मियाद से पहले कराया जा रहा है.
शरद पवार डिप्टी सीएम एनसीपी का चाहते हैं
सूत्रों की मानें तो शरद पवार अपने कुनबे और गठबंधन सरकार में संतुलन साधने के लिए डिप्टी सीएम पद अपने पास ही रखना चाहते हैं. इसके उलट कांग्रेस दो डिप्टी सीएम पद बनाने की पक्षधर है. शरद पवार का भी यही मत है कि फ्लोर टेस्ट हो जाने के बाद पोर्टफोलियो और डिप्टी सीएम पद को लेकर चल रही खींचतान को साधने का मौका मिल जाएगा. साथ ही में वह स्पीकर पद भी चाहती है. फिलहाल एनसीपी के वरिष्ठ नेता दिलीप वल्से पाटिल प्रोटेम स्पीकर बतौर फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया पूरी कराएंगे. इसके पहले विधान भवन में महा विकास अघाड़ी की एक बैठक हुई. इसमें पेंच-ओ-खम वाले मुद्दों पर चर्चा समेत स्पीकर कौन होगा, इस पर भी बात हुई. साथ ही पोर्टफोलियो वितरण में भी राय-शुमारी की गई.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो