सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू ने कहा है कि जजों की नियुक्ति के लिये बीस साल पुराना कॉलेजियम सिस्टम ही बेहतर है।
सीआईआई और एनएचआरसी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एच एल दत्तू ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "जजों द्वारा जजों की नियुक्ति की ये बेहतर प्रक्रिया है।"
पारदर्शी न माने जाने वाले कॉलेजियम सिस्टम में जजों को पता होता था कि वो किसे नियुक्त कर रहे हैं।
दत्तू ने कहा कि जिस तरह से मीडिया संस्थानों में एक संपादक जानता है कि वो किसे नियुक्त कर रहा है, बिलकुल उसी तरह से इस सिस्टम में जजों को मालूम होता है ककि वो किसे नियुक्त कर रहे हैं।
कॉलेजियम सिस्टम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में जजों का एक समूह जजों की नियुक्ति का प्रस्ताव देता है।
केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन करके नेशनल ज्युडीशियल अप्वाइंटमेंट्स कमीशन का गठन किया। सरकार की दलील थी कि कॉलेजियम सिस्टम में जजों का ही वर्चस्व रहता है।
सरकार ने 2014 में संविधान में संशोधन कर एनजेएसी का गठन किया और 2015 में ये प्रभावी हुआ।
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Source : News Nation Bureau